वाराणसी में नकली क्राइम-ब्रांच चलाने वाले दरोगा को हाईकोर्ट से मिली जमानत

पुलिस की कमजोर पैरवी को लेकर उठने लगे सवाल, पुलिस कमिश्नर ने बैठाई जांच

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वाराणसी में वर्दी की आड़ में लुटेरों का गैंग चलाने वाले दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. इसके पीछे पुलिस की लचर पैरवी को कारण बताया जा रहा है. यह दरोगा प्राइवेट क्राइम ब्रांच चला रहा था. कहा जा रहा है कि अभियोजन की लचर पैरवी और पुलिस के अधूरे साक्ष्य उसकी जमानत नहीं रोक सके. लूटकांड में आरापिता दरोगा के खिलाफ बर्खास्तगी समेत कड़ी कार्रवाई के अधिकारियों के दावे भी हवा हवाई हो गये. 42.50 लाख की लूट के मामले में दरोगा और उसके गिरोह के लोगों की गिरफ्तारी हुई. खुलासा भी हुआ. अब जांच करने वालों की भूमिका सवालों के घेरे में है.

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बताया जा रहा है कि आला अधिकारी दरोगा की जमानत से बेखबर थे. जब उन्हें पता चला तो अधीनस्थों पर तेवर दिखाए. इस मामले में तत्कालीन एसीपी कोतवाली और रामनगर थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई है. पुलिस आयुक्त ने एसीपी कोतवाली अमित श्रीवास्तव को हटाकर एसीपी सुरक्षा बना दिया है और इंस्पेक्टर रामनगर अनिल कुमार शर्मा को लाइन हाजिर कर दिया है. गौरतलब है कि पिछले 24 जुलाई को व्यापारी से 42 लाख 50 हजार रुपये लूट का पुलिस ने खुलासा किया था. इस लूट का मास्टरमाइंड वाराणसी में ही तैनात दारोगा सूर्य प्रकाश पांडेय निकला. इस गैंग ने फिल्मी स्टाइल में लूट की घटना को अंजाम दिया था. पुलिस ने दारोगा सूर्य प्रकाश, विकास मिश्रा और अजय गुप्ता को गिरफ्तार कर उनके पास से लूट के 8 लाख 5 हजार रुपये और 2 पिस्टल बरामद किया था.

रामनगर थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा

काशी जोन डीसीपी गौरव बंसवाल ने मीडिया के सामने आरोपितों को पेश किया था. बताया था कि 22 जून को कुछ अज्ञात लोग बस के अंदर चढ़े और व्यापारी से लगभग 42 लाख लूट ले गए थे. इस मामले में रामनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर एक स्पेशल टीम एडिशनल डीसीपी काशी जोन के नेतृत्व में गठित की गई थी. इस पूरे मामले में जब पुलिस ने तहकीकात की तो परत दर परत सारी चीज खुलती चली गई. पूछताछ में पता चला कि 22 जून की रात नीचीबाग निवासी सर्राफ कारोबारी जयपाल ने अपने 2 कर्मचारियों को 93 लाख रुपए देकर बस में बैठाया था. दोनों वाराणसी से कोलकाता जा रहे थे. कारोबारी जयपाल कर्मचारी अविनाश और धनंजय को बैठाकर घर आ गया. बाद में अविनाश ने कारोबारी को फोन किया और कहा कि पुलिस ने कैश पकड़ लिया है. एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और 2 सादे कपड़े में थे. उन्होंने खुद को चंदौली के सैयदराजा थाना की क्राइम टीम बताया और बस से नीचे उतार लिया. बिना नंबर प्लेट की कार में बैठाया और कहीं लेकर जा रहे हैं. उसने यह भी बताया कि गाड़ी में बैठने के बाद इन लोगों ने हमें डरा-धमाकर 90 लाख में से 42 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और फरार हो गए. जब हमने बताया कि लीगल पैसा है और उन्हें कागजात भी दिखाये, लेकिन उन्होंने एक न सुनी और रूपये लेकर चले गए.

मुखबिर के जरिए करते थे लूट

डीसीपी ने बताया कि टीम ने सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, कॉल डिटेल की जांच में कुछ व्यक्तियों के नाम प्रकाश में आए थे. इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इस लूटकांड में वाराणसी में पोस्टेड सब इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध आई है. डीसीपी ने बताया कि इस गैंग का एक मुखबिर यह वाच करता है कि कौन व्यापारी कितने रूपये लेकर बस में चढ़ता है. उन्होंने बताया कि इस गिरोह के लोग पूरा पैसा कभी नही लूटते है. आधी धनराशि लेकर बाकी वापस कर देते हैं. जिसके डर से व्यापारी कंप्लेन नहीं करता है. डीसीपी ने बताया कि गिरोह क्राइम ब्रांच के सदस्य बताकर बस को कहीं भी रास्ते में रुकवा लेते थे. इसके बाद वारदात को अंजाम देकर भाग जाते थे.

ऐसे देते थे लूट की वारदात को अंजाम

गिरफ्तार आरोपितों ने पुलिस की पूछताछ में बताया था कि 22 जून को भीटी के पास नेशनल हाईवे पर बस को रोककर उसमें बैठे व्यापारी को पिस्टल दिखाकर व डरा धमकाकर, उतारा और उनके 42 लाख 50 हजार रुपये लूट लिये थे. इस लूट कांड में नीलेश यादव, मुकेश दुबे उर्फ हनी व योगेश पाठक उर्फ सोनू पाठक भी शामिल थे.घटना को अंजाम देने के लिए उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से अपना एक आदमी अजय गुप्ता को एक पिस्टल के साथ भुल्लनपुर प्राइवेट बस स्टैण्ड पर बस में बैठा दिया था. इसके बाद कटारिया पेट्रोल पम्प के पहले ही बस को रुकवाकर इस घटना को अंजाम दिया गया. सब इंस्पेक्टर सूर्यप्रकाश पाण्डेय ने वर्दी में ही बस को रुकवाया था.

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