मोदी सरकार ने पेश किया ‘गुलाबी’ आर्थिक सर्वेक्षण

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केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को 2017-18 का अपना आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया। इस सर्वे को सरकार ने पिंक यानी गुलाबी रंग में पेश किया है। आप सोच रहे होंगे कि सरकार ने आखिर इस रंग का चुनाव क्यों किया। असल में सरकार ने इस आर्थिक सर्वे को महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता को समर्पित किया है। सर्वे के मुताबिक पूर्वोत्तर राज्यों ने लैंगिक समानता के मुद्दे पर बेहतरीन काम किया है, जो पूरे देश के लिए एक मॉडल हो सकता है। सर्वे में कहा गया है कि लैंगिक समानता बहुआयामी मुद्दा है।

सर्वे में लैंगिक भेदभाव की बात तीन आयामों पर की गई है- एजेंसी, ऐटिट्यूड और आउटकम। एजेंसी का अर्थ प्रजनन, खुद पर और परिवार पर खर्च करने का फैसला लेने की क्षमता से है। ऐटिट्यूड के तहत महिलाओं/पत्नियों के प्रति हिंसा, बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या से है।

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वहीं, आउटकम के तहत आखिरी बच्चे के जन्म के आधार पर बेटा या बेटी को महत्व, महिलाओं के रोजगार, परिवार नियोजन के फैसले, शिक्षा का स्तर, शादी की आयु, पहले बच्चे के जन्म के वक्त आयु आदि का अध्ययन किया गया है

इन संकेतकों के जरिए समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण की पड़ताल की गई है। सर्वे में कहा गया है कि बीते 10 से 15 सालों में भारत ने महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार के 17 संकेतकों में से 14 में बेहतर परफॉर्मेंस किया है। हालांकि सर्वे में कहा गया है कि रोजगार, परिवार नियोजन के उपाय और बेटे को प्राथमिकता जैसे मसलों पर भारत को अब भी लंबा सफर तय करना है।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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