कोलकाता : देश भर सावन को सोमवार को लेकर देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों का ताता देखने को मिलता है । लोगों मिलों का सफर तय करके शिव मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते है । इन दिनों लोग पूरी श्रद्धाभाव के शिव की आराधना करते है । इसी बीच कोलकाता से आध्यात्मिक शक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला है। यहां एक विवादित जमीन से शिवलिंग को हटाए जाने का फैसला लिखते हुए असिस्टेंट रजिस्ट्रार बेहोश हो गया ।
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दरअसल, कलकत्ता की एक विवादित जमीन की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने इस मामले में शिवलिंग को हटाए जाने का फैसला सुनाया है । शिवलिंग को उस विवादित जमीन से बेदखल किये जाने का फैसला दर्ज करते हुए असिस्टेंट रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए । यह दृष्य देख वहां मौजूद हर शख्स हैरान रह गया । इस घटना की सूचना तुरंत स्वास्थ विभाग को दी गयी मौके पर पहुंची एंबुलेंस से असिस्टेंट रजिस्ट्रार को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया और इसके बाद जज ने इस विवादित जमीन पर सुनाए गये फैसले में बदलाव कर दिया है।
जानिए क्या है पूरा विवाद
कोर्ट की तरफ से दी गयी जानकारी में बताया गया है कि, मुर्शिदाबाद के बेलडांगा स्थित खिदिरपुर निवासी सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। पिछले साल मई में विवाद हाथापाई की नौबत तक पहुंच गया था। कथित तौर पर इसके बाद गोविंदा ने विवादित जमीन पर रातो-रात एक शिवलिंग की स्थापना कर दी। सुदीप ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज करायी थी। पुलिस ने मामले की जांच करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो सुदीप ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर किया।
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किस तरह विवाद का शिकार हुई शिवलिंग
वही इस मामले के याचिकाकर्ता सुदीप पाल के वकील तरुणज्योति तिवारी ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि, ‘गोविंदा ने जानबूझकर विवादित जमीन पर शिवलिंग स्थापित किया था. पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए’
वही दूसरी तरफ गोविंद के वकील मृत्युंजय चट्टोपाध्याय ने जज से कहा, ”मेरे मुवक्किल ने शिवलिंग की स्थापना नहीं की, बल्कि शिवलिंग स्वयं जमीन से निकला है. दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने इसे जमीन से हटाने का आदेश दिया. न्यायाधीश के इसी फैसले को रिकॉर्ड करते समय अचानक असिस्टेंट रजिस्ट्रार विश्वनाथ राय बेहोश होकर गिर पड़े. यह देख जस्टिस ने भी अपना फैसला बदल दिया और कहा कि यह मामला निचली अदालत में सिविल केस के माध्यम से चलाया जाए.