नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों को लेकर कांग्रेस व उत्तर प्रदेश सरकार के बीच Tension जारी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और कांग्रेस के बीच तकरार तेज हो गई है। प्रियंका की ओर से बसों के साथ यूपी के बॉर्डर पर खड़े होने की बात कही गई है वहीं यूपी सरकार का कहना है कि बसों की सूची के नाम पर स्कूटर, मोटरसाइकल के नंबर दिए गए हैं। Tension चरम सीमा पर है।
लल्लू ने दिया धरना
आगरा—राजस्थान सीमा पर खड़ी बसों को लेकर विवाद बढ़ने और धरना देने के बाद लल्लू को हिरासत में ले लिया गया। अंतिम सूचना के अनुसार आगरा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू को थाने ले जाया जा रहा था। उन्हें फतेहपुर सीकरी थाने ले जाया जा रहा था। उन्हें थाने से ही जमानत मिलने के आसार हैं। Tension का असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है।
उन्हें राजस्थान बॉर्डर से हिरासत में लिया गया है। उनके साथ मथुरा के पूर्व विधायक प्रदीप माथुर भी हिरासत में हैं। लल्लू के साथ कई समर्थक भी हिरासत में हैं। राजस्थान बार्डर पर तनाव बढ़ा है। प्रशासन आगे की कार्रवाई कर रहा है।
हाईलाइट्स
आगरा-बॉर्डर पर Tension लगातार जारी
राजस्थान बॉर्डर पर कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू मौजूद थे
कई बार धरने पर बैठ चुके हैं अजय लल्लू
आगरा-राजस्थान बॉर्डर पूरी तरह से सील
दोनों राज्यों की पुलिस अपने अपने बॉर्डर में तैनात
बसों को लाने की जिद कर रहे हैं अजय लल्लू
कांग्रेस बसों को सौंपने को तैयार
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि पार्टी प्रवासियों को भेजने के लिए बसों को शाम 5 बजे तक गाजियाबाद और नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट (जिलाधिकारी) को सौंप देगी। कांग्रेस ने यह भी कहा कि अन्य कई बसें उत्तर प्रदेश-राजस्थान सीमा और दिल्ली में भी खड़ी हैं। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा था कि दोपहर 12 बजे तक कांग्रेस पार्टी गाजियाबाद और नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट को एक हजार बसें सौंप दें, जिसके बाद पार्टी ने अब जवाब दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि Tension पैदा किया जा रहा है।
कांग्रेस ने मांगा समय
अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में प्रियंका गांधी के निजी सहयोगी संदीप सिंह ने कहा, “हमें आपका पत्र सुबह 11.05 बजे मिला, जिसमें गाजियाबाद और नोएडा में बसों को सौंपने के लिए कहा गया था। चूंकि दिल्ली और राजस्थान में कई बसें परमिट लेने की प्रक्रिया में हैं। इसलिए कुछ और समय की आवश्यकता होगी।”
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस के बीच लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर पैदल लौटने को मजबूर हैं। मजदूरों की इस बेबसी को राजनीतिक दलों ने तमाशा बना दिया है।
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