कृषि मंत्रालय की वेबसाइट से Swaminathan की रिपोर्ट गायब

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Swaminathan: इन दिनों एक बार फिर से देश किसान आंदोलन से जल रहा है, किसान और पुलिस आमने – सामने हैं. दोनों में जमकर संघर्ष देखने को मिल रहा है. वहीं किसान आंदोलन पार्ट – 2 के शुरू होने के कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया था. वही दूसरी तरफ उनके द्वारा लिखी गयी रिपोर्ट कृषि और किसान मंत्रालय की वेबसाइट से गायब हो गयी है. इस बात की जानकारी, इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कॉन्फिडेंशियल द्वारा दी गयी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट के सभी भागों को मंत्रालय की वेबसाइट पर पहले से ही उपलब्ध कराया गया था. राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष रहते हुए स्वामीनाथन ने ये रिपोर्ट तैयार की थी.

स्वामीनाथन की रिपोर्ट मंत्रालय की वेबसाइट से गायब होने की खबर ऐसे समय आई जब पंजाब-हरियाणा सहित कई राज्यों के किसान MSP पर कानून सहित अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली पहुंच रहे थे. किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उनकी फसलों की कीमत निर्धारित की जाए.

कौन भारत रत्न हासिल करने वाले स्वामीनाथन ?

9 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की थी. भारत में स्वामीनाथन को ‘हरित क्रांति’ का प्रेरक बताया जाता है, उनकी मदद से गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों का विकास हुआ. स्वामीनाथन रिपोर्ट में भारत में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने का एक अध्ययन किया गया था. इस रिपोर्ट को अभी तक लागू नहीं किया गया है, 2004 में प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग (NCF) बनाया गया. 2004 और 2006 के बीच, NCF ने पांच रिपोर्टें दीं, इन रिपोर्टों को स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा जाता है.

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अपनी रिपोर्ट में स्वामीनाथन ने देश में खाद्य और न्यूट्रिशन सिक्योरिटी की रणनीति की सिफारिश की थी. साथ ही, उनकी रिपोर्ट ने फार्मिंग सिस्टम की प्रोडक्टिविटी और स्थिरता में सुधार की सिफारिश की थी. रिपोर्ट में किसानों को मिलने वाले कर्ज का फ्लो बढ़ाने के लिए सुधार की आवश्यकता बताई गई, वहीं अपनी रिपोर्ट में, उन्होंने किसानों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने का सुझाव दिया था. यह C2+50% फार्मूला भी है. रिपोर्ट ने किसानों को उनकी फसल की औसत लागत से कम से कम पचास प्रतिशत अधिक एमएसपी देने का सुझाव दिया.

 

 

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