UAPA को मिली चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से माँगा जवाब

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हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकने के लिए कानून को संशोधित किया था। जिसके तहत शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट UAPA की सुनवाई के लिए राजी हो गया है। गौरतलब है कि, नए कानूनी प्रावधानों को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब माँगा है। ज्ञात हो कि, केंद्र सरकार ने हाल ही में कानून में संशोधन किया था, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार है।

हाफिज सईद समेत चार लोगों को घोषित किया जा चुका है आतंकी:

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने बीते दिनों इसी कानून के तहत मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद समेत चार आतंकवादियों को आतंकवादी घोषित किया था। हाफिज के अलावा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के जकी-उर-रहमान लखवी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भी आतंकी घोषित किया गया था। ज्ञात हो कि, हाफिज सईद और मसूद अजहर को इससे पहले अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपियन यूनियन वैश्विक आतंकवादी घोषित कर चुका है।

UAPA कानून की धारा 35 और 36 की वैधता को दी गयी है चुनौती:

दिल्ली के रहने वाले सजल अवस्थी और एक NGO ने याचिकाओं में UAPA कानून की धारा 35 और 36 की वैधता को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, अगर किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जाता है तो, यह जिंदगीभर उसके लिए कलंक होगा। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का भी उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि, 1967 के UAPA कानून में सिर्फ संगठन को आतंकी घोषित करने का प्रावधान था। अब केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव कर नए प्रावधान जोड़े हैं। धारा 35 में यह साफ नहीं है कि, किसी व्यक्ति को किस आधार या किस कारण से आतंकी घोषित किया जाएगा।

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