अब फ्री इलाज पर बीएचयू में चढ़ा पारा, छात्रों ने पुरानी व्यवस्था बहाल करने की उठाई मांग

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वाराणसी। बीएचयू में अब छात्रों को इलाज के लिए पैसे चुकाने होंगे। आम नागरिकों की तरह उन्हें भी इलाज से पहले पर्ची कटवाना पड़ेगा। विश्वविद्याल प्रशासन की इस नई व्यवस्था के खिलाफ अब छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। छात्रों के एक धड़े ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन इस व्यवस्था को रद्द नहीं करता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

ये थी पुरानी व्यवस्था ?

बीएचयू के शोध छात्र चक्रपाणि ओझा कहते हैं कि ‘’छात्र कल्याण योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाती थी। अब हमें पर्चा कटवाकर डॉक्टरों को दिखाना पड़ रहा है। अभी तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था। इसके खिलाफ हम लोग आंदोलित हैं। पहले हमें छात्र स्वास्थ्य पुस्तिका मिलती थी। जिसको दिखाने के बाद हमें दवाएं निशुल्क मिलती थी। वरिष्ठ डॉक्टरों की सलाह लेते थे लेकिन अब हमें बीस रुपए का पर्चा कटवाकर डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा।‘’ पुरानी व्यवस्था की बहाली के लिए छात्रों ने सर सुंदरलाल अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। छात्रों ने कहा कि कैंपस में बहुत से गरीब छात्र हैं, जिनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे में नई व्यवस्था लागू कर विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों ने उनका वाजिब हक छीन रही है।

कोरोना काल में जोर पकड़ रहा है छात्रों का आंदोलन

कोरोना काल में बीएचयू के अंदर छात्रों का आंदोलन जोर पकड़ने लगा है। इंट्रेस एग्जाम को लेकर छात्रों के एक गुट ने मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी और अब फ्री इलाज की व्यवस्था को खत्म करने पर छात्रों का गुस्सा चरम पर है। अब सवाल है कि छात्रों का आंदोलन कब और कहां जाकर थमेगा ?

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