रंग बदल रहा है कोरोना : गंध-स्वाद महसूस न होना, अचानक स्ट्रोक आना भी लक्षण

बुजुर्गों में लकवे के चांस भी बढ़ रहे, तंत्रिका तंत्र पर हमले कर लोगों को बना रहा है पंगु

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हर गुजरते दिनों के साथ कोरोना वायरस अपना रंग-रूप बदल रहा है और बुजुर्गों पर हमले तेज कर रहा है। ऐसा भी देखा गया है कि उनपर लकवे की अधिकांश शिकायतें भारत में आ रही हैं। इस बारे में लखनऊ से भी ऐसी ही सूचना आ रही है। 90 फीसद बुजुर्ग इसके शिकार हो रहे हैं।
एक शोध के मुताबिक कोरोना वायरस शरीर के कई अंगों पर हमले कर रहा है। श्वसन और पाचन तंत्र के अलावा यह तंत्रिका तंत्र पर भी हमले कर रहा है। स्थिति यह है कि बुजुर्ग मरीजों को यह लकवाग्रस्त कर देता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे में उम्रदराज लोगों का विशेष ध्यान रखना होगा।
यह भी देखा गया है कि एक मरीज ने कोई दवा नहीं ली थी, पहले से किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। बाकी लोगों की तरह वह मरीज लॉकडाउन में घर में था। अचानक उसे बात करने में दिक्कत महसूस हुई। जांच में पता चला कि वह स्ट्रोक्स Strokes का शिकार हुआ है और उनके सिर में काफी बड़ा ब्लॉकेज हो गया है।

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ऐसे तमाम नये सिम्प्टम्स सामने आ रहे हैं इससे ही कोरोना के नित रंग बदलते रूप का पता लोगों को लग रहा है।

Strokes

खतरनाक होता जा रहा है कोरोना

कोरोना हर गुजरते दिनों के साथ खतरनाक तो हो ही रहा है, नए-नए सरप्राइज भी ला रहा है। अब जो नया लक्षण सामने आ रहा है उसमें लक्षण खांसी, जुकाम, बुखार नहीं, बल्कि पैरों में भी असर दिख रहा है।

कोरोना का लक्षण इटली में एक 13 साल के बच्चे में दिखा था। उसके पैर में गहरे लाल रंग का घाव दिखा। शुरुआत में तो माना गया कि उसे मकड़ी ने काटा होगा, क्योंकि निशान काफी हद तक वैसा ही था, लेकिन बाद में कोरोना के और भी मरीजों में ये लक्षण दिखने लगे। अब ये लक्षण अमेरिका में कई कोरोना मरीजों में दिखने लगे हैं, जिसकी वजह से वहां भी डॉक्टर इस पर चर्चा करने लगे हैं। अब कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की पहचान में पैरों के लक्षण भी देखे जा रहे हैं, खासकर बच्चों और जवान लोगों में।

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नया नाम कोविड टोज

इसलिए अब इसका नया नाम ‘कोविड टोज़’ दिया गया है। ये लक्षण काफी हद तक उन लोगों में दिखने वाले लक्षणों जैसे हैं जो बेहद ठंडे इलाकों में रहते हैं। सर्दियों में उनके पैरों में ऐसे ही निशान दिखते हैं, जिनमें जलन होती है। इटली में ऐसे बच्चों में कोरोना वायरस के और कोई लक्षण नहीं दिखे थे।

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कोरोना मरीज में दिखते हैं ये भी लक्षण

कोरोना के मरीज में सिर्फ कफ, बुखार, गला सूखना, थकान महसूस होना, खांसी आना और सांस लेने में तकलीफ के ही लक्षण नहीं दिखते, बल्कि कुछ मरीजों में अचानक कुछ भी ना महकना, टेस्ट गायब हो जाना और आंखें गुलाबी होने जैसे लक्षण भी दिख रहे हैं।

अपंग भी बनाता है कोरोना

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी,लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.आरके गर्ग के मुताबिक, कोविड-19 बीमारी के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर हो रहे दुष्प्रभावों के अब तक प्रमाणिक तथ्य नहीं थे। वहीं 10 अप्रैल को जनरल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में शोध प्रकाशित हुआ। चीन के वुहान में भर्ती 214 गंभीर मरीजों पर स्टडी हुई। इसमें 78 मरीजों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पाया गया है। इन मरीजों में किडनी और लिवर के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं भी मिलीं।

अटैक का कारण अज्ञात

डॉ.गर्ग के मुताबिक शोध में कोरोना वायरस के मस्तिष्क में अटैक का कारण फिलहाल अज्ञात है। यह वायरस सीधे दिमाग पर कहां से अटैक करता है, यह पहेली अभी बरकरार है। मगर, संक्रमित मरीजों में एक तिहाई न्यूरोलॉजी डिसऑर्डर के शिकार हुए हैं। यह इलाज के दौरान डॉक्टरों को भी ध्यान रखना होगा।

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नसों को कर देता डैमेज

डॉ.गर्ग के मुताबिक 17 अप्रैल को न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में शोध प्रकाशित हुआ। इसमें इटली के कोरोना मरीजों में पांच में जीबी सिंड्रोम बीमारी होना पाया गया है। गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबी सिंड्रोम) में व्यक्ति की एंटीबॉडी शरीर के खिलाफ काम करने लगती है। वह नर्वस सिस्टम को डिस्ट्रॉय करने लगती है। ऐसे में मरीज का प्लाज्मा निकालकर फ्रेश प्लाज्मा चढ़ाया जाता है। ऐसे मरीजों की पहचान में देरी होने से व्यक्ति अपंग भी हो सकता है।

90 फीसद बुजुर्ग शिकार

डॉ.आरके गर्ग के मुताबिक कोरोना के गंभीर मरीजों में न्यूरो डिसऑर्डर के शिकार 90 फीसद बुजुर्ग हुए। इनकी उम्र 60 के ऊपर की रही। कुल मरीजों में 20 फीसद की मौत हो गई। वहीं 30 फीसद अपंगता से घिर गए। इसके अलावा भर्ती मरीजों में पक्षाघात, लकवा, बेहोशी व मांसपेशियों में क्षतिग्रस्त होना मिला।

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अमेरिका: कोरोना के लक्षण नहीं

अमेरिका के डॉक्टर्स ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस की वजह से 30 से 49 साल के कई लोगों की अचानक मौतें हो रही हैं। इनमें कई लोग ऐसे होते हैं जो बिल्कुल भी बीमार नहीं दिखते और उनमें कोई लक्षण नहीं होता। लेकिन अचानक आए स्ट्रोक्स Strokes की वजह से लोगों की मौतें हो रही हैं। न्यूयॉर्क में कई लोगों की मौतें उनके घर में ही हो गईं।

रिपोर्ट के मुताबिक, मैनहटन के MSBI हॉस्पिटल के डॉक्टर थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उनके जांच में वे कोरोना से भी संक्रमित पाए गए। मरीज की उम्र सिर्फ 44 साल थी। हालांकि, इस तरह के गंभीर Strokes के शिकार होने वाले लोगों की औसत उम्र अब तक 74 साल रही है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कम उम्र के लोगों की जान Strokes की वजह से जा रही है।

इधर ब्लाकेज हटाये जा रहे, उधर नये पैदा हो रहे

न्यूरोलॉजिस्ट थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उन्होंने मरीज के सिर से क्लॉट हटाने की प्रक्रिया शुरू की तो उन्होंने मॉनिटर पर देखा कि उसके सिर में उसी वक्त नए क्लॉट बनते जा रहे हैं।

अमेरिका में कई हॉस्पिटल में Strokes के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जांच में Strokes के शिकार हुए कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। कई मरीजों में पहले से संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा।

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हर अंग को प्रभावित करता है

पहले समझा जाता था कि कोरोना की वजह से आमतौर पर शरीर के फेफड़े प्रभावित होते हैं। लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने और कई स्टडी से यह पता चला है कि कोरोना शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है। कोरोना की वजह से शरीर में कई ऐसी बीमारियां हो रही हैं जिसे समझने में डॉक्टरों को भी मुश्किल आ रही है।
अब तक कोरोना और Strokes को लेकर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। लेकिन अब अमेरिका के तीन बड़े मेडिकल सेंटर कोरोना मरीजों में स्ट्रोक्स के मामलों से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित करने जा रहे हैं। कुल मरीजों में Strokes के शिकार लोगों की संख्या कम है, लेकिन वायरस शरीर पर क्या प्रभाव डालता है, इसको लेकर यह महत्वपूर्ण है।

खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है

Strokes के दौरान अचानक खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है. डॉक्टरों के लिए यह पहले से एक जटिल समस्या रही है। यह हार्ट की दिक्कत, कोलेस्ट्रॉल, ड्रग लेने वगैरह से हो सकता है। मिनी स्ट्रोक आमतौर पर खुद ठीक हो जाते हैं। बड़े Strokes घातक हो सकते हैं और कोरोना वायरस की वजह से मरीजों को गंभीर स्ट्रोक्स का सामना करना पड़ रहा है।

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