पत्रकार की पहल ने बदल दी इन नेत्रहीनों की जिंदगी

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मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं। ऐसा अनुभव को महसूस किया पत्रकार उपासना ने, जिन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए एक पत्रिका निकालना शुरु किया। इस उम्मीद से कि नेत्रहीन लोगों को भी समाचार से इतर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक पढ़ने को मिलेगा।

पत्रिका की शुरूआत

मुंबई की एक जनसंपर्क कंपनी में काम करने के दौरान उपासना के मन में बार-बार नेत्रहीन लोगों के लिए कुछ करने का ख्याल आता था। बहुत मंथन के बाद उपासना ने सोचा कि क्यों न ब्रेल लिपी में एक लाइफस्टाइल पत्रिका प्रकाशित की जाए। इस बात को उपासना ने अपने एक दोस्त को बताया और फिर दोनों ने मिलकर पत्रिका शुरू कर दी। मई 2013 में उपासना ने वाइट प्रिंट नाम से 64 पेज की एक अंग्रेजी लाइफस्टाइल पत्रिका लॉच की। यह पत्रिका इसलिए भी खास है, क्योंकि यह अपनी तरह की पहली ब्रेल लिपी की लाइफस्टाइल पत्रिका है।

हर विषय पर रिपोर्टिंग

इस मैगजीन में विभिन्न मुद्दों जैसे राजनीति, संगीत, फिल्म, तकनीकी विषय, कला, फूड एवं यात्रा आदि विषयों पर सामग्री होती है। इसके अलावा पत्रिका में लधु कहानियां भी प्रकाशित होती हैं। इस मासिक पत्रिका का एक महत्वपूर्ण कॉलम है रीडर्स सेक्शन। यह सेक्शन पत्रिका के पाठकों के लिए है जिसमें वे किसी भी विधा में अपना लेख भेज सकते हैं। प्रसिद्ध टीवी पत्रकार बरखा दत्त भी इस पत्रिका के लिए एक कॉलम लिखती हैं।

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नेत्रहीनों से कैसे जुड़ी?

पत्रकार उपासना के मुताबिक, केवल उनकी पत्रिका वाइट प्रिंट ही उनकी जिंदगी की पहली चीज है जिसके कारण वे नेत्रहीन व्यक्तियों से जुड़ीं। काफी पहले से वह नेत्रहीनों के लिए कुछ करना चाहती थीं। इसी दौरान उन्होंने सोचा कि नेत्रहीनों के लिए एक भी पत्रिका बाजार में उपलब्ध नहीं है तो क्यों न इसी दिशा में कुछ काम किया जाए। और उन्होंने काम शुरु कर दिया। दिल से काम किया और आज नतीजा सबके सामने है।

उद्योगपतियों का मिला समर्थन

पत्रिका को पिछले कुछ महीनों में बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे कोकाकोला, रेमडंस व टाटा ग्रुप का सहयोग मिला है। हालांकि विज्ञापन के लिए कंपनियों को समझाने में अभी भी बहुत दिक्कत आती है। आज हर महीने वाइट प्रिंट की तीन सौ प्रतियां प्रिंट होती हैं। जिनको देश के विभिन्न भागों में बिक्री हेतु भेजा जाता है। वाइट प्रिंट पत्रिका की कीमत मात्र तीस रुपये है, इसलिए रेवेन्यू के लिए पत्रिका को पूरी तरह से विज्ञापनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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