मुसीबतों से लड़ते हुए इस महिला ने किया ऐसा काम, जिसे सरकार ने पूरे राज्य में कर दिया लागू

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जब आप किसी ऐसे काम को करने की ठान लेते हैं जिसको लेकर समाज में बहुत सारी धारणाएं होती हैं। उस काम में आप कामयाब होंगे या नहीं इसका तो पता नहीं रहता है, लेकिन समाज के उन ठेकेदारों को आप अपना दुश्मन जरूर बना लेते हैं तो ये कहते हैं कि बस सारा समाज उन्ही के दम पर फल-फूल रहा है। अगर हम बात करें समाज में फैले अंधविश्वास की, दहेज लेने-देने की तो ऐसे में जब हम इन चीजों के खिलाफ जंग छेड़ते हैं तो हमारे सामने कई चुनौतिया होती है।

कुछ ऐसी ही कहानी है जूली ठेकुदान की जिन्होंने ऐसा काम चुना जिससे महिलाओं को समाज में उनका हक दिला सके औऱ उन्हे सम्मान के साथ जीने का मौका मिले। जूली ने घरेलू हिंसा दहेज प्रथा जैसी चीजों के खिलाफ आवाज बुलंद की और कई मुश्किलों का सामना करते हुए आज कानून के साथ मिलकर घरेलू हिंसा रोकने के लिए अग्रसर हैं।

बचपन से ही दूसरों की मदद करने की इच्छा, बदलाव की चाह, विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को तराश कर आगे बढऩे का दम और घरेलू हिंसा जैसे कठिन मुद्दे से सीधे सरोकार रखना जूली ठेकुदान जैसी महिलाओं के लिए मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं।

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जूली का मानना है कि अगर इंसान खुद पर भरोसा रखता है तो उसे सफलता जरुर मिलती है क्योंकि उन्होंने जब शुरुआत की थी तो लोग उन पर हंसते थे और कभी-कभी पागल जैसे शब्द भी सुनने को  मिलते थे। लेकिन उन्होंने इन सब बातों को अनसुना करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती गईं और धीरे-धीरे उन्हें सफलता की रौशनी दिखाई देने लगी।

उन्होंने हिंसा रोकने के लिए समुदाय में छोटे-छोटे ग्रुप्स बनाकर महिलाओं, पुरुषों और युवा वर्ग के साथ निगरानी समिति और न्याय समिति आरंभ की जो घरेलू हिंसा के संबंध में जागरूक करती है।वे गर्वमेंट के साथ मिलकर ऐसी महिलाओं के लिए पापड़ बनाना और कैंडल मेकिंग जैसे कार्य भी करती हैं।

साथ ही जूली दहेज विरोधी मोर्चे पर भी कार्य करती हैं। वे सिस्टम के जरिए पांच साल से पचास हजार महिलाओं की मदद कर चुकी हैं। उनके गुजरात जेंडर जस्टिस में काम को देखते हुए गुजरात मूवमेंट ने इस मॉडल को एडॉप्ट किया और पूरे राज्य में चालू कर दिया।

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