इस शख्स की कहानी जानकर आप भी हो जाएंगे इसके ‘जबरा’ फैन
किसी गरीब और जरुरतमंदों की सहयता करने के लिए अनेक काम हैं जिन्हें करके आप उन गरीब और लाचार लोगों की मदद कर सकते हैं जिन्हें कुछ जरुरतों की दरकार है। जरुरी नहीं होता कि मदद सिर्फ पैसों से की जाए अगर आप के अंदर दूसरों के प्रति लगाव और उनके लिए कुछ करने का जज्बा है तो बहुत से काम हैं जिनसे आप उन लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिला सकते हैं जिनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। और वो इस भीड़ भरी दुनिया में अकेले जिंदगी गुजार रहे हैं।
कुछ ऐसा ही कर के पिछले करीब 22 सालों से ये शख्स गरीब और जरुरतमंदों के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। जी हां आज हम आप को ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने पिछले 22 साल से उन लोगों के लिए भगवान बना हुआ है जिन्हें अस्पतालों में रक्त की कमी से मौत के मुंह में जाना पड़ता था।
दरअसल, राकेश संगर ऐसे शख्स है जो जरुरतमंदों की मदद की है साथ ही जिसे रक्त की जरुरत होती है उन्हें वो कहीं से भी जुगाड़ करके मुहैया कराते हैं। राकेश न सिर्फ अस्पतालों में रक्त उपलब्ध कराते हैं बल्कि कैंप लगाकर लोगों को जागरुक करने का काम भी पिछले 22 सालों से कर रहै हैं।
संगर कहते हैं कि उनकी टीम पिछले 21 सालों से ट्राइसिटी में रक्तदान कैंपों का आयोजन कर रही है। वह अब तक ढाई हजार कैंप लगा चुके हैं। लोगों की मदद से अब तक 30 हजार यूनिट ब्लड इकट्ठा कर चुके हैं। जब भी कही कोई दुर्घटना होती है, या किसी अस्पताल को ब्लड की जरूरत पड़ती है तो लोग श्री शिव कांवड़ महासंघ को याद करते हैं।
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राकेश संगर इसी संस्था से जुड़े हैं।इस नेक कार्य से जुड़ने के पीछे की कहानी के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि तब वह पीजीआई में ही काम करते थे। वहां पर एक औरत गुमशुम और उदास बैठी थी।उन्होंने पास जाकर दुखी होने का कारण पूछा तो महिला ने बताया कि उसके पति को ब्रेन ट्यूमर है, पिछले कई दिनों से लाइनों में लगने के बाद अस्पताल में एडमिट होने के लिए डॉक्टर से मिल पाई, फिर पता चला कि ऑपरेशन के लिए ब्लड की जरूरत है।
लेकिन हमें इस बारे में पता नहीं था। वह महिला फिरोजपुर से थी। उस महिला को इस हालात में देखकर उन्होंने जरूरतमंद लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। और इसी के साथ शुरू हुआ ये सिलसिला जिसके जरिए राकेश संगर उन सभी जरुरतमंदों को अपनी सहायता देने से पीछे नहीं हटते हैं।