आज आ सकता हैं सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले का फैसला…पढ़ें पूरा मामला

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विशेष सीबीआई कोर्ट गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी बीबी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ पर शुक्रवार को फैसला दे सकता है। इस मामले में कोर्ट ने 210 गवाहों से जिरह की है।

मामले की सुनवाई कर रहे जज इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं। माना जा रहा है इससे पहले शुक्रवार को वह इस मामले में फैसला दे सकते हैं। सीबीआई का कोर्ट में मानना था कि पूरे मामले की सुनवाई गवाहों के पूर्व में दिए गए बयानों से मुकर जाने से गड़बड़ा गई।

बता दें कि यह मामला 12 साल पुराना है। इस मामले में अनेक गवाहों, आरोपियों और जांचकर्ताओं ने कहा है कि उन्हें पूरी घटना याद नहीं है। इस मामले की सुनवाई में उस समय नया मोड़ आ गया, जब एक जांचकर्ता ने कहा कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और तीनों की हत्या की साजिश बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राजस्थान में उस समय के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने रची थी। इन दोनों का भ्रष्ट नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और गैंगस्टरों से संबंध था।

इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे। इस मामले में ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं। पूरे मामले में अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है। इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं।

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सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई। उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया। साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी। अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 92 मुकर गए।

बुधवार को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए। इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था। उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी और पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है। अदालत दोनों याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला करेगी।

सोहराबुद्दीन उज्जैन के एक छोटे से गांव का रहने वाला

सोहराबुद्दीन उज्जैन के एक छोटे से गांव का रहने वाला था। सोहराबुद्दीन की मां सरपंच और उसके पिता जनसंघ के पूर्व सदस्य थे। सोहराबुद्दीन के दोस्त उसे वकील के नाम से पुकारते थे। बताया जाता है कि उसने युवावस्था में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। 1995 में ही उसे गुप्त रूप से बड़ी संख्या में हथियार रखने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि गुजरात के पुलिस अधिकारियों ने व्यापारियों से उगाही के लिए सोहराबुद्दीन का इस्तेमाल किया था।

1997 में सिर्फ 18 साल की उम्र में गिरफ्तार

मिशनरी स्कूल से पढ़ाई और आठवीं ड्रापआउट स्टूडेंट। तुलसीराम भी उज्जैन का रहने वाला था। ईंट भट्टे के मालिक गंगाराम का बेटा प्रजापति भी युवावस्था में ही जरायम की दुनिया में कदम रख दिया। पहली बार उसे 1997 में सिर्फ 18 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया।

जैसे-जैसे उसकी आपराधिक गतिविधियां बढ़ने लगीं, परिवार से उसके रिश्ते तल्ख होते गए और एक दिन वह घर छोड़कर भाग गया। चार्जशीट के मुताबिक प्रजापति से पुलिस ने कहा था कि यह एक पॉलिटिकल दबाव है। हम सोहराबुद्दीन को सिर्फ गिरफ्तार करेंगे, जिससे बाद प्रजापति ने पुलिस को सोहराबुद्दीन का पता-ठिकाना बताया था। प्रजापति सिर्फ 28 साल का था जब उसे मार दिया गया। साभार

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