कभी सपा को कहा था भ्रष्ट… आज समर्थन मांगने ‘सपा’ के द्वार पहुंची ‘आप’
एक समय वो भी था जब आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नेताजी मुलायम सिंह का नाम भ्रष्ट नेताओं में शामिल किया था। वहीं नौ साल बाद आज खुद अरविंद केजरीवाल समाजवादी पार्टी की चौखट पर मदद मांगने पहुंचे हैं। दरअसल, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार को खोने का डर सता रहा है। इसलिए अब केजरीवाल ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सपा से समर्थन मांग रहे हैं। इसी सिलसिले में अरविंद केजरीवाल आज लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसे में अब दोनों पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है…
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का साथ पाने के लिए दर-दर भटक रहें हैं। सालों बाद मिले अधिकारों को खोने के डर से अरविंद केजरीवाल विपक्षियों दलों से समर्थन मांग रहे हैं। इसके लिए वो अब तक देश का पूरा परिक्रमा कर चुके हैं। आप पार्टी को खासकर कांग्रेस का साथ चाहिए, लेकिन कांग्रेस आप को घास भी नहीं डाल रही है। इसलिए अरविंद केजरीवाल ने सपा की ओर हाथ बढ़ाया है। इसी सिलसिले में आज अरविंद केजरीवाल लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मन और आप सांसद संजय सिंह भी अखिलेश यादव से मिलेंगे।
मुलाकात में केवल समर्थन या गठबंधन भी
बता दें, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को ज्यादातर विपक्षी पार्टियों के नेताओं से उनका समर्थन मिल चुका है। अब अरविंद केजरीवाल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से समर्थन पाने की कोशिश में आज बैठक कर रहे हैं। शाम चार बजे के आसपास अरविंद केजरीवाल का दल अखिलेश यादव के आवास पर उनसे मिलेंगे और अध्यादेश के खिलाफ अखिलेश यादव से आम आदमी पार्टी का साथ देने का आग्रह करेंगे। अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या आप और सपा में गठबंधन की सहमति बनेगी? या फिर पिछले साल की तरह केवल बातचीत ही होगी?
सपा नेता को आप की मंशा पर शक
मुलायम सिंह यादव के सहयोगी रहे राजेंद्र चौधरी सपा के वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें पता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सपा मुखिया से किस तरह का सहयोग चाहते हैं और अरविंद केजरीवाल की मंशा क्या हैं। उन्हें लगता है कि केजरीवाल इस प्रयास में हैं कि कांग्रेस के नेता उनसे मिलें और इस मसले पर अपना समर्थन देने का दावा करे और यह वादा भी करें कि जब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाए तो कांग्रेस उसका विरोधी करेगी। इस मंशा की पूर्ति के लिए वह विपक्षी नेताओं से मिलकर उन्हें अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
मुलाकात पर राजेंद्र चौधरी का कहना है, “पार्टी अध्यक्ष के घर पर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान सहित आप के नेता मिल बैठकर राजनीतिक मामलों पर चर्चा करेंगे। विपक्षी दलों की एकता पर भी एक-दूसरे के विचार जानेंगे और प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री के विचार सुनेंगे।”
केवल समर्थन, नहीं होगा गठबंधन
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि इस मामले में सपा मुखिया से केजरीवाल क्या चाहते हैं, उसे अखिलेश जी जानेंगे। अब चूंकि दोनों नेताओं के बीच पहली बार लखनऊ में यह बैठक हो रही है तो यह भी जरूरी है कि बहुत सोच समझकर फैसला लिया जाए। राजेंद्र चौधरी के इस कथन से साफ है कि बुधवार को अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के बीच होने वाली बैठक में कोई बहुत ठोस फैसला नहीं होगा, हां कुछ मसलों पर सहमति जरूर होगी ताकि बातचीत का सिलसिला चलता रहे।
मुलाकात की मुख्य वजह कांग्रेस
दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल की सपा प्रमुख से मुलाकात का तत्काल मकसद केंद्र के अध्यादेश को कानून में तब्दील होने से रोकना है। इस लक्ष्य को दिल्ली के सीएम तभी हासिल कर सकते हैं जब आप को कांग्रेस का सपोर्ट मिल जाए। कांग्रेस का सपोर्ट मिले बगैर केंद्र के प्रस्ताव को राज्यसभा में रोकना नामुमकिन है। हालांकि, कांग्रेस का साथ देने के बाजवूद सीएम केजरीवाल अपनी मुहिम में तभी सफल होंगे जब उन्हें सभी विपक्षी दलों का साथ मिल जाए।
2021 में हुई थी गठबंधन के लिए सपा-आप की बैठक
बता दें, दो साल पहले जब आप पार्टी ने उत्तर प्रदेश में एंट्री ली थी, तब चर्चाओं की जैसे आंधी आ गई थी। याद होगा, साल 2021 में आम आदमी पार्टी की ओर से सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। तब इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया था। सब और दोनों पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चाएं चल रही थीं। लेकिन दोनोें पार्टी के बीच सीटों के बंटवारों को लेकर बात नहीं बन पाई थी। तब सपा आर आप पार्टी ने ये कहकर गठबंधन की बात से इनकार कर दिया था कि दोनों पार्टी के विचार अलग हैं।
2022 में उठी थी गठबंधन की चर्चा
साल 2022 में जब आप ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू की थी, तब राष्ट्रीय लोक दल के बाद अब आम आदमी पार्टी का समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने की चर्चा उठी थी। इसी सिलसिले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी व राज्य सभा सदस्य संजय सिंह की बुधवार को मुलाकात की थी। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। मुलाकात के बाद संजय सिंह ने कहा था कि भाजपा सरकार के कुशासन व तानाशाही खत्म करने के लिए कामन एजेंडा पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि गठबंधन की बातचीत शुरू हो गई है, लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है।
शिवपाल बोले थे- यूपी में नहीं चलेगा केजरीवाल का जादू
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव ने नरेंद्र मोदी और भाजपा का गुरूर भले तोड़ दिया हो, लेकिन अरविंद केजरीवाल का जादू उत्तर प्रदेश में नहीं चल पाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर यमुना में प्रदूषण रोकने को लेकर सहयोग न करने का आरोप मढ़ा। साथ ही कहा कि दिल्ली से ही यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए केजरीवाल को ठोस योजना बनानी चाहिए।
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