तो क्या हर भारतीय के खाते में 15 लाख जमा होने वाले हैं?

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अगर स्विट्जरलैंड सरकार की ओर से वहां के बैंकों में कालाधन रखने वालों की जानकारी भारत सरकार से साझा की जाती है तो यह कालाधन रखने वालों के लिए तगड़ा झटका साबित हो सकती है। स्विट्जरलैंड सरकार ने आटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान समझौते के लिए भारत के डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के कानून को पर्याप्त बताया है। इससे जाहिर है कि अब कालाधन रखने वालों के लिए स्विट्जरलैंड स्वर्ग नहीं रहेगा।

जानकारी के आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक के आधार पर वित्तीय खाता सूचना के स्वत: आदान-प्रदान पर बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकारी समझौते (एमसीएए) के आधार पर सूचना का आदान-प्रदान किया जाएगा, जो कि विकसित देशों के थिंकटैंक द्वारा विकसित आर्गनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक कॉर्पोरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) द्वारा बनाया गया है।
गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड ने भारत और 40 अन्य देशों के साथ अपने यहां संबंधित देश के लोगों के वित्तीय खातों, संदिग्ध काले धन से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था को इस साल जून में मंजूरी दे दी थी।

इसे लेकर देश में तीन साल से बहस चल रही है। यह बहस तब तेज हो गयी जब 2014 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि धन लाने में समय लगेगा क्योंकि इसमें कानूनी दांव पेंच हैं। उनका कहने का मतलब था कि यह इतना आसान नहीं है क्योंकि यह धन उस देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाता है। ऐसे में सभी देशों से बातचीत कर इसे बेहतर समझ के साथ ही सुलझाया जा सकता है।

ज्ञात हो कि काला धन रखने वालों में नेता, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी, उद्योगपति और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होते हैं। माना जाता है कि काला धन लोग कर बचाने के लिए जमा करते हैं पर इसका उपयोग अवैध हथियारों और ड्रग के कारोबार के अलावा आतंकवाद फैलाने में भी होता है। घूस से जमा धन, शेयर बाजार और दो नंबर के धंधों से होने वाली आमदनी को लोग दूसरे देश में जमा कर देते हैं जिससे न तो उन पर कोई सवाल उठे और न ही उन्हें कर भरना पड़े।
काले धन का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वालों की छह सौ सत्ताइस नामों वाली सूची कोर्ट को सौंप दी थी। इसलिए यह सवाल बार बार उठ रहा है कि काले धन को चुनावी मुद्दा बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस धन को कब देश में लाएगी? साथ ही यह भी कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रमुख नेता और अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौ दिन में काला धन लाने का वादा क्यों किया था? क्या अरुण जेटली को काले धन के आड़े आने वाले कानूनी दांव पेंच की समझ पहले नहीं थी?

यहां यह बताना जरूरी है कि स्विट्जरलैंड ने पहले ही यूरोपीय संघ के 28 सदस्यों सहित कम से कम 38 देशों और क्षेत्रों के साथ एईओआई को लागू किया है और 2018 में उन देशों के साथ आंकड़ों को साझा करना शुरू कर देगा। इसकी शुरूआत के लिए भारत और स्विटजरलैंड में लंबे समय से बातचीत चल रही थी, क्योंकि स्विस बैंकों में कथित तौर पर भारत के ढेर सारे काले धन जमा हैं।

भारत सरकार ने काले धन से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें पिछले साल नवंबर में की गई नोटबंदी और ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्तियां) इंपोजिशन आफ टैक्स एक्ट, 2015 शामिल है।
इससे यह उम्मीद बंधती है कि विदेशों में जमा कालाधन शायद अब वापस आये।

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