बनारस स्टेशन पर स्थापित हुआ स्मार्ट पर्यावरण निगरानी प्रणाली, बना पूर्वोत्तर का पहला स्टेशन

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वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहले के मुकाबले में बहुत से विकास देखने को मिला रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे का वाराणसी मंडल यात्रियों को अत्याधिनिक यात्री सुविधाओ को उपलब्ध करने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति सचेत है। रेलवे स्टेशन पर विकास की नई-नई तकनिकी उपकरण लगाकर स्मार्ट सिटी का रूप दिया जा रहा है। इसी क्रम में अब पर्यावरण की निगरानी के लिए बनारस स्टेशन पर स्मार्ट पर्यावरण निगरानी प्रणाली की स्थापना स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में मैकेनिकल (ईएनएचएम) विभाग ने एटेक इंडिया के सहयोग से की है।

क्या है इसका उद्देश्य

स्मार्ट पर्यावरण निगरानी प्रणाली का उद्देश्य वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की सटीक और अचतित जानकारी के लिए मौसम के मापदंडों के साथ PM-2.5 PM-10, CO2, 502, NO2, CO, के स्तर का वास्तविक समय में मापन करके सावधान करना है।

स्मार्ट पर्यावरण निगरानी प्रणाली कार्य सिद्धांत एंबेडेड सेंसर आधारित मशीन जो एक खुले वातावरण में स्थापित है और वायु गुणवत्ता मापदंडों की वास्तविक समय की निगरानी के लिए डेटा लॉगर में एकत्रित होती है।

 

स्मार्ट पर्यावरण निगरानी प्रणाली मुख्य लाभ

• यह प्रणाली वायु गुणवत्ता के बारे में जन जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देती है।

• यह प्रणाली अपनी सूचनाओं के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने एवं सटीक निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।

• यह स्थानीय स्तर पर कार्यान्वित उपाय की प्रभावशीलता के मूल्यांकन की सुविधा भी प्रदान करती है।

• यह प्रणाली हवा की गुणवत्ता के पैरामीटर पूर्वनिर्धारित सीमा से अधिक होने पर अलर्ट और अलार्म नोटिफिकेशन भेजकर सचेत करेगी।

 

हाल ही में वाराणसी को मिली थी रोपवे की सौगात जिसके साथ वाराणसी ने रचे थे कई इतिहास

-वाराणसी होगा देश का पहला शहर जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोप-वे होगा।

-बोलीविया और मेक्सिको के बाद विश्व में भारत तीसरा देश होगा जहां यह सुविधा मिलेगी।

-कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक चलेगा रोप-वे, पहुंचने में लगेंगे 16 मिनट।

-2 साल के अंदर बन कर तैयार हो जाएगा रोप‑वे।

-644.49 की लागत से बनकर होगा तैयार।

-रोप-वे की कुल दूरी 3.8 किलोमीटर, 50 मीटर ऊंचाई पर चलेंगी 150 ट्राली कार।

-एक ट्राली में सवार हो सकेंगे अधिकतम 10 पैसेंजर, एक घंटे में दोनों छोर से 6000 यात्री कर सकेंगे यात्रा।

-हर डेढ़ से दो मिनट के अंतराल पर यात्रियों के लिए ट्राली उपलब्ध रहेगी।

-अधिग्रहण 1.5891 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। इसमें सरकारी जमीन 0.8068 हेक्टेयर ली गई है। शेष 0.7823 हेक्टेयर प्राइवेट जमीन अधिग्रहण की जद में है।

 

वाराणसी पहला ऐसा शहर जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे है

भारत विश्व में तीसरा देश और वाराणसी पहला शहर होगा जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोप-वे का इस्तेमाल होगा। इसे स्विट्जरलैंड की कंपनी बर्थोलेट व नेशनल हाईवे लाजिस्टिक प्रा.लि. मिलकर बनाएगी।

 

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