छह राज्यों ने नागरिकता संशोधन विधेयक लागू न करने का किया फैसला

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(एजेंसियां)

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी पार्टियों की तरफ से लगातार विरोध किया जा रहा है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत में भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार दिया। वहीं, कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे इस बिल को लेकर उनकी पार्टी के रुख का समर्थन करते हैं। इस तरह अब तक छह राज्यों के सीएम इसे अपने राज्य में नहीं लागू करने की बात कह चुके हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जो भी रुख अपनाया है, हम उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि क्या हम उस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं जो विभाजन का बीज बोती है?

कांग्रेस ने असम के हालात पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की

दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने पूर्वोत्तर राज्यों के हालात को देखते हुए सरकार से मामले पर चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की स्थिति परेशान करने वाली है और सेना की कार्रवाई इसका जवाब नहीं है। ऊपरी सदन में शून्य काल के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि स्थिति को टाला जा सकता था। क्या सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक(सीएबी) को लाने में जल्दबाजी नहीं की, जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अवैध गैर-मुस्लिम अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

राज्यसभा सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समस्या का हल ढूंढ़ने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की भी मांग की है।

संस्कृति और समाज की संरचना बिगड़ सकती है

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्रों खासकर असम, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के लोगों को अप्रवासियों के वहां आने का भय है, जिससे उनकी संस्कृति और समाज की संरचना बिगड़ सकती है।

पूर्व मंत्री ने कहा कि कई राज्य बांग्लादेश, चीन, भूटान के साथ अंतर्राष्ट्ररीय सीमा साझा करते हैं और इसलिए इन देशों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर हमारा रुख कांग्रेस पार्टी द्वारा लिए गए रुख से बिल्कुल भी अलग नहीं है। हमारा रुख भी उनके जैसा ही है। हम इस बिल का विरोध करते हैं, क्योंकि यह असंवैधानिक है।

कांग्रेस की नीति का पालन करेंगे: बालासाहेब थोराट

वहीं, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट से जब पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करेगी, तो उन्होंने इसके जबाव में कहा कि हम अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नीति का पालन करेंगे। हम पूरी तरह पार्टी के रुख के साथ है।

6 राज्यों का इनकार

इससे पहले पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल सरकार भी इसे अपने राज्य में लागू नहीं करने का एलान कर चुके हैं। इस तरह से अब ये कानून देश के इन छह राज्यों में लागू नहीं होगा। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी शुरुआत से ही इस बिल के विरोध में हैं और किसी भी हाल में इसे लागू नहीं करने की बात कह चुकी हैं। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और केरल के सीएम पिनरई विजयन भी इसपर अपना विरोध जता चुके हैं।

राज्यों के लिए बाध्यकारी

वहीं, सरकार के सूत्रों ने कहा कि नागरिकता का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में आता है इसलिए इससे मानना बाध्यकारी है। सभी राज्यों को नागरिकता बिल संशोधन को मानना ही होगा।

राष्ट्रपति की मंजूरी से बना कानून

पूर्वोत्तर में जारी भारी हिंसा के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा से पास होने के अगले ही दिन नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही यह कानून बन गया और पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया। विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने सोमवार को लोकसभा और बुधवार को राज्यसभा में यह बिल पास करवा लिया था।

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