काश! 5 साल के बाद ‘पहुना’ जैसी फिल्म की जरूरत न पड़े : निर्देशक
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की बनाई सिक्किमी फिल्म ‘पहुना- द लिटिल विजिटर’, गुरुवार को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में विश्व प्रीमियर के लिए तैयार है। इस फिल्म की निर्देशक पाखी ए. टायरवाला कहती हैं कि फिल्म बच्चों के मन में राजनीतिक हिंसा के नकारात्मक प्रभाव से संबंधित है, वह एक शांतिपूर्ण दुनिया की उम्मीद करती हैं, जहां ऐसी फिल्म बनाने की कोई जरूरत न पड़े।
वयस्कों द्वारा किया काम बच्चों को प्रभावित करता है
अपनी फिल्म की कहानी के बारे में जानकारी साझा करते हुए पाखी ने मीडिया को बताया, “हालांकि फिल्म के मुख्य पात्र बच्चे हैं, मगर फिल्म की कहानी का विषय वयस्कों से संबंधित है, और वर्तमान स्थिति के हिसाब से बहुत प्रासंगिक है। वयस्कों द्वारा किया गया हर काम बच्चों को प्रभावित करता है।”
धार्मिक झगड़े हमेशा बच्चों पर असर करते हैं
उन्होंने कहा, “हम जो कुछ भी करते हैं और कहते हैं, हमें उसके लिए जिम्मेदार होना चाहिए। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल और धार्मिक झगड़े हमेशा बच्चों पर असर करते हैं। मैं चाहती हूं कि पांच साल बाद ‘पहुना’ जैसी फिल्म की जरूरत हमें न पड़े। मुझे आशा है कि तब तक दुनिया बहुत ही शांतिपूर्ण जगह होगी।”
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बच्चों की फिल्म से अच्छे रिटर्न नहीं मिलेंगे
‘पहुना’ को सिक्किमी भाषा की पहली फीचर फिल्म बताया जा रहा है। पाखी ने कहा, “एक फिल्म को सिक्किमी भाषा में बनाना अपने तरह की पहली शैली है। उसमें खोज की एक श्रृंखला थी और उसने मुझे बहुत उत्साहित किया। लेकिन यह आसान नहीं था।”उन्होंने कहा, “लोगों (निर्माता और फाइनेंसरों) ने मुझे बताया कि उन्हें इस बच्चों की फिल्म से अच्छे रिटर्न नहीं मिलेंगे, वह भी एक ऐसी भाषा से, जो उनके लिए नई है। अंत में जब मैं डॉ. मधु चोपड़ा और प्रियंका से मिली, मैंने वास्तव में पहले ही इन मुद्दों के बारे में उन्हें बता दिया था।”
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फिल्म उतनी उनकी भी है, जितनी मेरी है
पाखी ने कहा, “और तब उन्होंने कहा कि यही वो कारण है जिसके लिए वह इस फिल्म का निर्माण करने को इच्छुक हैं।”फिल्मकार, कहानी अनुवादक, संगीत निर्देशक और साउंड इंजीनियर समेत पूरी टीम का धन्यवाद करते हुए पाखी ने कहा, “प्रियंका ने मुझसे कहा था कि अगर मैं एक अच्छी फिल्म बना सकती हूं, तो वह मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले जाएंगी। मेरे निर्माता और शानदार टीम जिसके साथ मैंने काम किया मैं उसे सलाम करती हूं। यह फिल्म उतनी उनकी भी है, जितनी मेरी है।”
कहानी 8 या 9 साल की उम्र के बच्चों की है
“मैंने मुख्य भूमिकाओं के लिए दो बच्चों को ऑडिशन लिया और समाप्त किया। लेकिन जब हम शूटिंग शुरू करते थे, तो वे बदले से नजर आते थे, क्योंकि मेरी कहानी 8 या 9 साल की उम्र के बच्चों की है। और यह शारीरिक परिवर्तन का चरण होता है, इसलिए 11 या 12 साल किसी को 8 या 9 साल की उम्र से अलग दिखता है।
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