बुक्कल नवाब के मंदिर में घंटा चढ़ाने पर देवबंदी उलमा ने जताया कड़ा एतराज

0

भाजपा से एमएलसी पद के उम्मीदवार बुक्कल नवाब हनुमान मंदिर में पीतल का घंटा चढ़ाने और जय श्रीराम के नारे लगाने से देवबंदी उलमा के निशाने पर आ गए हैं। उलमा ने इसे इस्लाम विरोधी बताकर नवाब से तौबा करने को कहा है। उल्लेखनीय है आज मंगलवार का दिन है।

यह हनुमान भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण है। आज लखनऊ के एक हनुमान मंदिर में पूजन के साथ बुक्कल नवाब ने कहा कि अयोध्या में रामलला की जन्म भूमि पर ही भव्य मंदिर बनेगा और वह वहां पर दस लाख का मुकुट भी चढ़ाएंगे। देवबंदी उलमा ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया।

एक महीने पहले खरीदा घंटा

बुक्कल नवाब ने हनुमान मंदिर में घंटा चढ़ाने की एक दिन पहले ही घोषणा की थी। इसी घोषणा के तहत आम तौर पर सफेद कुर्ता-पायजामा पहनने वाले बुक्कल नवाब 12 बजे भगवा कुर्ता धारण करके हजरतगंज स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां घंटा चढ़ाया और महावीरी तिलक भी लगाया। श्रद्धा से हनुमान जी को शीश झुकाकर नमन किया।

Also Read :  नवंबर से नहीं छपे 500 के नोट, अब 3 शिफ्ट में छपाई

बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने यह घंटा एक महीना पहले ही खरीदा था। एक सवाल के जवाब में कहा कि जब सपा में थे तब भी अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने की मांग की थी और आज भी उस पर कायम हैं। श्रीराम मंदिर बना तो वह दस लाख रुपये का मुकुट भी चढ़ाएंगे।यह पूछने पर कि हनुमान दर्शन करने पर उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया तो क्या करेंगे? इस पर बुक्कल नवाब बोले, वह किसी फतवे से नहीं डरते। मन में जो आता है वह करते हैं। हनुमान जी संकटमोचक हैं। उनसे आज तक जो भी मांगा वह प्राप्त हुआ। इसीलिए घंटा चढ़ाने के साथ उनके दरबार में हाजिरी लगाने आया हूं। हमारे पूर्वज भी हनुमान जी भक्त थे। पत्रकारों के सवाल पर उन्होने कहा-‘मैं तो बहुत पहले से हनुमान भक्त हूं। उनसे जो मांगा, मिला है।’

बुक्कल नवाब के पूजा-अर्चना करने पर उलमा को एतराज

भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी प्रत्याशी बुक्कल नवाब अब हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर सुर्खियों में आ गए हैं। देवबन्दी उलमा का कहना है कि दूसरे धर्म की पूजा पद्धति अपनाने की इस्लाम मजहब में इजाजत नहीं है। मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के मोहतमिम मौलाना सालिम अशरफ कासमी ने कहा कि किसी भी दिखावे के लिए यदि कोई दूसरे मजहब के रीति रिवाज जैसे पूजा-अर्चना कर अल्लाह के साथ किसी अन्य को शरीक करता है तो वह इस्लाम मजहब से खारिज माना जाता है। उलमा ने कहा कि यदि बुक्कल नवाब ने ऐसा किया है तो उन्हें तौबा करनी चाहिए।

तौबा कर दुबारा कलमा पढें बुक्कल

दारुल उलूम निसवा के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि इस्लाम मजहब इस तरह के कृत्य की इजाजत नहीं देता। शिया उलमा को उनके इस अमल पर निर्णय लेना चाहिए। इस्लाम मजहब के मुताबिक उन्हे अल्लाह से तौबा कर दुबारा कलमा पढऩा चाहिए।

दैनिक जागरण

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More