‘देवभूमि’ की बेटी बनी इसरो में साइंटिस्ट
देवभूमि उत्तराखंड की बेटी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं और अगर उन्हें मौका मिलेगा तो कामयाबी का परचम लहराने से पीछे नहीं हटेंगी। दरअसल, पहाड़ों की बेटी शीतल ने इसरो में साइंटिस्ट बनकर उत्तराखंड की सभी बेटियों के लिए मिसाल पैदा की है।
पौड़ी जिले में जन्म लेने वाली शीतल की पढ़ाई देवभूमि में ही हुई है। शीतल का परिवार क्लेमेंटटाउन में रहता है। पौड़ी जिले के गगवाड्स्यूं पट्टी के गांव बणगांव मल्ला का रहने वाली शीतल के पिता संतोष कुमार बिष्ट सेना से रिटायर्ड हैं जबकि मां अंजना बिष्ट गृहिणी हैं।
शीतल ने ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय (Graphic Era University) से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। इस बीच इसरो की आईसीआरबी परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिल गई। उन्होंने हाल ही में इसरो में ज्वाइन किया है।
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उन्होंने जीसेट-9 की ऐतिहासिक लांचिंग इसरो के कंट्रोल रूम में बैठकर लाइव देखी। शीतल का कहना है कि उन्होंने कभी भी इसरो के बारे में नहीं सोचा था। उन्हें बस एक अच्छी नौकरी की तलाश थी। इससे पहले उत्तराखंड के शैलेंद्र और प्रतिभा नेगी भी इसरो में साइंटिस्ट बन चुके हैं।
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