शंकराचार्य ने शिवराज सरकार को सुनाई खरी-खरी
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए से सियासी हलकों में बहस शुरू हो गई है। इस मामले पर अब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने भी बयान (statement ) दिया है। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए इसे स्वार्थपूर्ण फैसला बताया है।सरकार इस तरह का दर्जा उन्हें देती हैं जो सम्मानित हैं और आध्यात्मिक रूप से लोगों की मदद कर सकते हैं।”
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील भी की गई है
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार ने यह फैसला अपने स्वार्थी उद्देश्यों के चलते लिया है। सरकार उन्हें यह दर्जा दे रही हैं जो ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के बाद से उनकी मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। विपक्ष के जुबानी हमले के बाद अब आम जनता भी शिवराज के इस फैसले से नाराज दिख रही है। शिवराज सरकार द्वारा 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील भी की गई है।
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राम बहादुर शर्मा नाम के शख्स ने हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शिवराज सरकार द्वारा पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ बुधवार को याचिका दाखिल की है। उधर यह भी खबर है कि कुछ संत राज्यमंत्री का दर्जा लौटा भी सकते हैं। न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, एक संत ने कहा कि उनके लिए बत्ती वाली गाड़ी और सुविधाओं का कोई महत्व नहीं है।
राज्यमंत्री के दर्जे को स्वीकार करेंगे
वे तो वैसे ही समाज में जनजागृति लाने का काम करते हैं। नदी बचाओ, पेड़ लगाओ इस तरह का अभियान उनके लिए आम है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे सरकार के राज्यमंत्री के दर्जे को स्वीकार करेंगे, तो उनका जवाब था कि उन्हें इस तरह के विशेषाधिकार की कतई जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि मंगलवार को राज्य शासन ने प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों विशेष रूप से नर्मदा के किनारे वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति निंरतर जन-जागरुकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति गठित की गई। इस समिति में बतौर सदस्य नर्मदानन्द, हरिहरानंद, कंप्यूटर बाबा, भैयू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को शामिल किया गया है। सभी सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की बात कही गई है।
NBT
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