‘शबनम को अगर फांसी दी तो आएंगी आपदाएं’, अयोध्या के मंहत परमहंस दास ने दिया अजीबोगरीब बयान
शबनम स्वतंत्र भारत में फांसी की सजा पाने वाली पहली महिला होगी। 38 वर्षीय शबनम ने सलीम के साथ रिश्ते को लेकर आपत्ति जताने वाले अपने परिवार के 7 सदस्यों- अपने मां, बाप, 2 भाइयों, भाभी, चचेरे भाई और 10 महीने के भतीजे की हत्या कर दी थी।
उस समय शबनम गर्भवती थी, फिर उसने 2008 में मुरादाबाद जेल में बेटे को जन्म दिया। बेटे के 6 साल के होने पर अमरोहा में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने उसे बुलंदशहर जिले के निवासी उसके अभिभावक को सौंप दिया।
हत्यारिन की फांसी रोकने की मांग-
हत्यारिन शबनम की फांसी रोकने के लिए पहली मांग अयोध्या से उठी है। तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वे शबनम की फांसी की सजा को माफ कर दें।
महंत ने कहा कि देश की आजादी के बाद आज तक किसी महिला को फांसी नहीं दी गई। यदि शबनम को फांसी दी जाती है तो यह पहला मामला होगा। उन्होंने कहा कि एक महिला को फांसी दिए जाने से देश को दुर्भाग्य और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
नारी को मृत्युदंड दिए जाने से दुर्भाग्य और आपदाओं को न्यौता मिलेगा-
महंत ने कहा कि ‘हिंदू शास्त्रों में नारी का स्थान पुरुष से बहुत ऊपर है। एक नारी को मृत्युदंड दिए जाने से समाज का कोई भला नहीं होगा। उल्टे इससे दुर्भाग्य और आपदाओं को न्यौता मिलेगा।’
महंत ने कहा कि यह सही है कि उसका अपराध माफ किए जाने योग्य नहीं है लेकिन उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए। आगे राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि शबनम की याचिका को स्वीकार कर लें।
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