संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से मिलती है जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से मिलती है जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली होता है सर्वसंकटों का निवारण
Sankashti Chaturthi 2020 : भारतीय संस्कृति में पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अनन्त है। गौरीनन्दन भगवान श्रीगणेश जी को चतुर्थी तिथि समर्पित है। प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत महिला एवं पुरुष के लिए समान रूप से फलदायी है।
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी : शनिवार, 11 अप्रैल
चन्द्रोदय : रात्रि 10 बजकर 01 मिनट पर
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत शनिवार, 11 अप्रैल को रखा जाएगा। वैशाख कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि शुक्रवार, 10 अप्रैल को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार, 11 अप्रैल को रात्रि 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय शनिवार, 11 अप्रैल की रात्रि 10 बजकर 01 मिनट पर होगा। फलस्वरूप संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत शनिवार, 11 अप्रैल को रखा जाएगा। रात्रि में चन्द्र उदय होने के पश्चात् चन्द्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।
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कैसे करें पूजा-
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत के दिन प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नान ध्यान के पश्चात् व्रतकर्ता को मानसिक रूप से या अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुनः स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार से पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को मोदक एवं दूर्वा अति प्रिय है, इसलिए दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अर्पित करने चाहिए।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन के मुताबिक श्रीगणेशजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश संकटनाशन, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश चालीसा एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित मंत्र-स्तोत्र आदि का पाठ एवं मन्त्र का जप जो भी सम्भव हो, अवश्य करना चाहिए।
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Sankashti Chaturthi 2020 : मान्यता-
ऐसी धार्मिक व पौराणिक मान्यता है कि श्रीगणेश अथर्वशीर्ष का प्रात:काल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश होता है। संध्या समय पाठ करने पर दिन के सभी पापों का शमन होता है, यदि विधि-विधानपूर्वक एक हजार पाठ किए जाएं तो मनोरथ की पूर्ति होती है और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली में ग्रहों की दशा के अनुसार अशुभ फल मिल रहा हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सभी विघ्नों के विनाशक प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान में जिन्हें जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज के दिन विधि-विधानपूर्वक श्रीगणेश जी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली एवं सौभाग्य की अभिवृद्धि होती है साथ ही सर्वसंकटों का निवारण भी होता है।
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