मुलायम सिंह यादव ने हाथ में तख्ती लेकर गांधी प्रतिमा पर किया प्रदर्शन

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समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम (Mulayam) सिंह यादव ने हाथ में तख्ती लेकर बुधवार को गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया। दरअसल दिल्ली  संसद की कार्रवाही शुरु होने से पहले मुलायम सिंह यादव ने रोस्टर नियुक्ति में बदलाव को लेकर प्रदर्शन किया।

इस दौरान सपा के अन्य सांसद के साथ अन्य दल के सांसद भी मौजूद थे। विपक्ष के हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्रवाई को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी दलों ने गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसदों ने हाथों में तख्तियां लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी अरसे बाद नजर आए। वह रोस्टर नियुक्ति में बदलाव को लेकर हो रहे प्रदर्शन में विपक्षी सांसदों के साथ थे।

बता दें कि बुधवार को हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। बुधवार की सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले गांधी स्टैचू के पास एसपी, बीएसपी और आरजेडी के सांसद जुटे। यूनिवर्सिटी में रोस्टर नियुक्ति में बदलाव के विरोध में एसपी के सांसदों के विरोध प्रदर्शन में बीएसपी और आरजेडी के सांसदों ने भी सुर मिलाया।

इस दौरान एक दूसरा गुट भी संसद के बाहर प्रदर्शन करते नजर आया। यह समूह नॉर्थ ईस्ट के सांसदों का था जो नागरिकता बिल कानून का विरोध कर रहे थे। नागरिकता कानून और यूनिवर्सिटी रोस्टर नियुक्ति में बदलाव को लेकर राज्यसभा में हंगामे के बाद कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

यह है यूनिवर्सिटी रोस्टर नियुक्ति मामला

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद यूनिवर्सिटी में आरक्षण का ताजा मामला शुरू हुआ है, जिसमें 200 पॉइंट रोस्टर नियुक्ति सिस्टम को समाप्त कर दिया गया था। इस सिस्टम के तहत तमाम नियुक्तियां एक साथ होती थीं। कोर्ट के फैसले के बाद यूनिवर्सिटी में विभागवार नियुक्ति करने का आदेश जारी हुआ। आरोप लगा कि विभागवार कम नियुक्तियां निकलती हैं। इस कारण आरक्षण का पालन करना कठिन होता है। बाद में केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। इसके बाद आंदोलन जोर पकड़ने लगा।

यह है नागरिकता बिल

संसद में यह बिल ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है।

इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।

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