माया-टीपू का आखिरी दांव रोकेगा बीजेपी का विजय अभियान !

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उत्तर प्रेदश की राजनीति पर हमेशा से पूरे देश की नजरें टिकी होती हैं चाहे वो विधानसभा चुनाव के नतीजे हो या लोकसभा चुनाव, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दिल्ली की राजनीति का रास्ता यूपी के सियासी गलियारों से होकर गुजरता है। ऐसे में दिल्ली पहुंचने के लिए पहले यूपी को फतह करना जरुरी होता है। इसी फतह को कामयाब करने के लिए सपा और बसपा पुरानी रंजिशों को भूलकर एक बार फिर से मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए एकजुट होने को तैयार हैं। समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन का आधिकारिक तौर पर आज एलान हो सकता है।

गोरखपुर और फूलपुर सीट के लिए 11 मार्च को वोटिंग

सीएम योगी और डिप्टी सीएम के सीट छोड़ने के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में बसपा दोनों सीटों पर खुद चुनाव लड़ने के बजाय समाजवादी पार्टी को समर्थन देने के लिए तैयार हो गई है। दोनों सीटों के लिए वोटिंग 11 मार्च को और मतगणना 14 मार्च होगी। गोरखपुर से बीजेपी ने उपेन्द्र शुक्ला और फूलपूर से कौशलेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर से प्रवीण कुमार निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि फूलपुर से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। ऐसे में कड़ी टक्कर देने के लिए अब बसपा भी समाजवादी पार्टी के समर्थन में आ गई है।

गठबंधन पर सीएम योगी का तंज

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के एक साथ आने की खबरों के बाद सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गठबंधन को लेकर तंज कसा है। सीएम योगी ने कहा कि कभी भी केर और बेर का मेल नहीं हो सकता है। सीएम ने कहा हमारे कार्यकर्ताओं की कोई तुलना नहीं क्योंकि सपा-बसपा वाले थानों पर कब्जा करते हैं। सीएम ने सपा के शासनकाल में हुए गेस्टहाउस कांड पर तंज कसते हुए कहा कि गेस्टहाउस कांड और स्मारकों को ढहाने की चेतावनी कौन लोग देते थे ये सबको पता है। सीएम ने आगे कहा कि गोरखपुर और फूलपुर चुनाव हम भारी मतों से जीतेंगे।

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पहले भी हुआ था सपा-बसपा का गठबंधन

सपा-बसपा का एक साथ आना कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी दोनों पार्टियों ने एक साथ चलने का वादा किया था लेकिन कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए जिससे दोनों पार्टियों के रिश्तों में खटास आ गई, खटास भी ऐसी कि पिछले 25 सालों में दोनों ने कभी एकदूसरे के साथ मिलना मुनासिब नहीं समझा। दरअसल, जब मुलायम सिंह यादव ने साल 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया और उसके एक साल बाद होने वाले चुनाव से पहले बसपा ने राजनीतिक गठबंधन कर लिया था। उस समय बसपा की कमान कांशीराम के हाथ में थी और सपा के साथ हुए समझौते के तहत बसपा 164 और सपा 256 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें सपा को 109 और बसपा को 67 सीटों पर जीत हासिल हुई।

वक्त बदला और सियासत ने कुछ ऐसी पलटी मारी कि कांशीराम और मुलायम के रिश्तों में दरार आ गई और साल 1995 में इस दोस्ती की डोर चटक गई, दोस्ती की इस डोर को जुड़ने की तब कोई गुंजाइश नहीं बची जब 2 जून को मीराबाई गेस्ट हाउसकांड हो गया और ये रिश्ते पूरी तरह से खत्म हो गए। लेकिन आज दोबारा दोनों पार्टियों ने सारे गिले-शिकवे भूलकर एक साथ बीजेपी के विजय अभियान को रोकने के लिए साथ आ रहे हैं।

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