मुलायम सिंह को आगे कर आज़म खान से दूर हुए अखिलेश यादव!

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सियासत में जितनी एहमियत बयानों की होती है उतनी ही चर्चाओं की भी होती है, बल्कि राजनीति तो चलती ही इस बात पर है कि चर्चा में क्या चल रहा है।

सपा के विधायक और उत्‍तर प्रदेश सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके आज़म खान यूं तो हमेशा ही चर्चा में रहते ही थे लेकिन अनगिनत मुकदमों की वजह से उनकी चर्चा आम हो गयी है।

आज़म खान पर लगी मुकदमों की झड़ी-

एक के बाद एक मुकदमा और अगर आज़म खान के सारे मुकदमे गिन ले तो संख्या 78 हो जाती है। आज़म खान इतनी बुरा तरह फंसे की आखिरकार उन्हें पार्टी की तरफ देखने ही पड़ा कि कोई आये और मुझे बचाये।

हालांकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज़म खान के साथ होने का इशारा तो किया लेकिन उन्हें ये भी लग गया कि वो भी ज़्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। लेकिन क्योंकि आज़म खान से रिश्ता पुराना है, पिता के साथी हैं और जब सब साथ छोड़ रहे थे तो आज़म उनके साथ थे। वैसे उस वक़्त आज़म की भी मजबूरी अखिलेश के साथ जाने की ही थी।

जब आज़म की पत्नी ने लगाईं मुलायम से गुहार-

खैर आज़म पर मुकदमों का बोझ इतना पड़ा कि उनकी पत्नी को सपा संरक्षण मुलायम से गुहार लगानी पड़ी या यूं कहें कि उन्हें किसी ने यह सलाह दी कि अगर आज़म को भाजपा के कोप से बचाना है तो एक ही आदमी इनकी मदद कर सकता है और वो हैं मुलायम सिंह यादव।

आज़म खान की पत्नी तंजीम फातिमा मुलायम सिंह से गुहार लगती हैं और फिर मुलायम एक प्रेस कांफ्रेंस कर आज़म खान का समर्थन में सामने आते हैं।

मोदी और शाह भी मुलायम हैं!-

ये वही मुलायम हैं जिनके लिए मोदी और शाह भी मुलायम हैं। वजह जो भी हो लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी मुलायम पर मुलायम ही नज़र आती है।

पाते कि बात यह है कि जब मुलायम सिंह आज़म खान का समर्थन करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं तो वह अखिलेश नहीं होते। वहां सिर्फ और सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही होते हैं।

राजनीतिक गलियारों में अब इसकी चर्चा होने लगी है। उल्लेखनीय है कि राजनीति में चर्चा की बहुत एहमियत है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का बयान-

अब जरा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के उस बयान तो तौलिये जिसमे वो कहते हैं कि अपनी सरकार में आज़म खान की कारस्तानियों को छुपाने के लिए अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह को ढाल बना रहे हैं।

स्वतंत्र देव के इस बयान पर बल मिलता है मुलायम सिंह की इस प्रेस वार्ता से जिसमें अखिलेश तो थे ही नहीं।

अब क्या करें अखिलेश?-

तो क्या सच मे आज़म खान के मामले में अखिलेश ने अपने पिता को आगे कर दिया है? ये ध्यान रखते हुए की वो सरकार के प्रिय हैं, लेकिन एक बात यह भी हो सकती है कि अखिलेश उपचुनाव की तैयारी करें, बसपा से गठबंधन टूटने से मिली चोट का इलाज करें, 2022 के लिए कमर कंसे, या सब भूल कर आज़म की लड़ाई लड़े जो शायद भाजपा भी चाहती है।

इस चर्चा में दम है कि अखिलेश ने पिता मुलायम को आज़म मामले में आगे करके अपने आप को आज़ाद कर लिया है। वहीं आज़म के लिए इस वक्त मुलायम से बड़ा समर्थक ओर कोई नहीं हो सकता। ओर आज़म यह भी नहीं कह सकते कि पार्टी उनके लिए कुछ नहीं कर रही।

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