…एक साधारण लड़की से साध्वी प्रज्ञा

0

मालेगांव ब्लास्ट के आरोप में 8 साल से जेल में कैद साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट मिल गई है और वो जल्द ही खुली हवा में सांस ले पाएंगी। एनआईए ने प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी है और उन पर लगा मकोका भी हटा दिया है।

साध्वी प्रज्ञा का जन्म भिंड लहार में हुआ था, उनकी शुरुआती पढ़ाई लहार से ही हुई। साध्वी प्रज्ञा की छवि बचपन से ही टॉम ब्यॉय की थी, वो बचपन से ही लड़कों के जैसे कपड़े पहनती थीं और उन्हें बाइक चलाने का काफी शौक था।

प्रज्ञा बचपन से ही निडर स्वभाव की थी, अगर मोहल्ले का कोई लड़का कुछ कहता था तो वो उससे जाकर भिड़ जाती थीं। प्रज्ञा के पिता आर्युवेदिक डॉक्टर थे लहार में एक क्लीनिक चलाते थे।

साध्वी के पिता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे और प्रज्ञा को भी हिंदूवादी शिक्षा अपने पिता से ही मिली। शुरुआत से ही महत्वाकांक्षी रही प्रज्ञा कॉलेज के दिनों में ही कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती थीं। इसी कारण वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ीं। वाकपटुता के बल पर उन्होंने जल्द ही परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाई।

पहले लहार फिर धीरे-धीरे साध्वी के भाषणों का प्रभाव भोपाल, देवास, जबलपुर और इंदौर में पड़ने लगा और उन्होंने परिषद को छोड़कर साध्वी का रूप धारण कर लिया। साध्वी का चोला धारण करने के बाद वे कई संतों के संपर्क में आईं तथा धार्मिक नगरी उज्जैन सहित कई नगरों में प्रवचन देती नजर आने लगीं।

प्रज्ञा के नाम पर रजिस्टर मोटरसाइकल उन्हें एटीएस के राडार पर लेकर आई और 2008 में महाराष्ट्र एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार किया। बाद में इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ और तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे पर दक्षिणपंथी संगठनों ने साध्वी प्रज्ञा को बेवजह फंसाने के आरोप लगे। आरोप लगा है कि मालेगांव में जिस बाइक पर बम प्लांट किया गया था वो बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More