भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है क्योंकि धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये पूरा संसार भगवान विष्णु की शक्ति से ही संचालित है। विष्णु जी के भक्त उन्हें नारायण, श्रीहरि जैसे अनेक नामों से बुलाते हैं। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और ऐसी मान्यता है अगर इस दिन व्यक्ति सच्चे मन से व्रत रखे और भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान के साथ पूजा करे तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
गुरुवार व्रत के लिए जरूरी नियम
अगर भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करनी है तो गुरुवार का व्रत रखने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है और कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए।
- अगर आप पहली बार गुरुवार का व्रत रखने जा रहे हैं तो पौष के महीने से व्रत शुरू ना करें। इसके अलावा आप किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। अगर गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस दिन से व्रत शुरू करना और भी शुभ और फलदायी माना जाता है। गुरुवार का व्रत लगातार 16 गुरुवार तक रखना होता है।
- गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है इसलिए गुरुवार के दिन भूल से भी केला नहीं खाना चाहिए।
- भगवान विष्णु को पीला रंग पसंद है इसलिए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के दौरान पीले कपड़े जरूर पहनें। साथ ही गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद पीली चीजें जैसे- गुड़, पीला कपड़ा, चने की दाल और केले का किसी जरूरतमंद को दान करें।
- गुरुवार को और एकादशी के दिन भी जब भगवान विष्णु की पूजा की जाती है उस दिन चावल और खिचड़ी नहीं खानी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से धन की हानि हो सकती है।
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भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय
इस मंत्र को विष्णु जी का मूल मंत्र माना जाता है और गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा धन प्राप्ति के लिए विष्णु जी की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि,
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं। Journalist Cafe इनकी पुष्टि नहीं करता है।)
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