जानिये, रेस्टूरेंट इंडस्ट्री क्यों मांग रही है सरकार से बेल आउट पैकेज?
कोरोना का असर: हमेशा के लिए लॉक हो जाएंगे 40% रेस्टूरेंट!
मुंबई : लॉकडाउन के पहले Restaurant इंडस्ट्री का टर्नओवर 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का था। नैशनल Restaurant असोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि बेलआउट पैकेज न मिला तो 40 फीसदी Restaurant पर ताला लटक जाएगा।
सरकार ने Restaurant इंडस्ट्री के लिए अगर बेलआउट पैकेज नहीं जारी किया तो हर 10 में से 4 Restaurant/क्लाउड किचन हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं। इसका अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हो सकता है क्योंकि लॉकडाउन के पहले इस इंडस्ट्री का टर्नओवर 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का था और इसमें 70 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ था। ये अनुमान नैशनल Restaurant असोसिएशन ऑफ इंडिया के हैं।
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नैशनल Restaurant असोसिएशन के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘लॉकडाउन के चलते पिछले डेढ़ महीने से Restaurant की कोई इनकम नहीं हुई है। इसके चलते बहुत-सी कंपनियों को अप्रैल महीने की पूरी सैलरी देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि लॉकडाउन कब हटेगा, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है। इस वजह से भी रेस्टूरेंट अपने सीमित कैश रिजर्व को लेकर कोई योजना नहीं बना पा रहे हैं।
फूड डिलिवरी बिजनेस में 70% की गिरावट
असोसिएशन के मुताबिक, फूड डिलिवरी बिजनेस में करीब 70% की गिरावट आने का अनुमान है। साथ ही, डाइन-आउट बिजनेस की रिकवरी में भी लंबा वक्त लग सकता है जिससे स्थिति और गंभीर हो जाएगी। ऐनालिस्टों का कहना है कि छंटनी और सैलरी में कटौती के चलते लॉकडाउन के बाद लोगों की खर्च करने लायक आय में कमी होगी जिसका असर रेस्टूरेंट बिजनेस पर पड़ेगा।
किचन पर भी लॉकडाउन का असर
क्लाउड किचन भी लॉकडाउन के असर से अछूते नहीं हैं और कई कंपनियां तो अपने लिए खरीदार की तलाश में जुट गई हैं। ईट फिट के फाउंडर मुकेश बंसल ने चंडीगढ़, जयपुर, अहमदाबाद और वडोदरा जैसे शहरों में अपनी कम से कम 18 फेसिलिटीज को बेचने का फैसला कर लिया है क्योंकि उन्हें आगे भी बिक्री में कमी जारी रहने की आशंका है। स्विगी भी अपने कुछ प्राइवेट ब्रैंड किचन बंद कर रही है। क्लाउड किचन वे Restaurant होते हैं, जो सिर्फ ऑनलाइन ऑर्डर के जरिए बिजनेस करते हैं।
पहले के स्तर पर आने में एक साल
रेडसीर कंसल्टिंग के अनुमान के मुताबिक फूड डिलिवरी बिजनेस को लॉकडाउन के पहले के स्तर पर आने में कम से एक साल लग सकता है। छोटे शहरों और कस्बों में यह अवधि और लंबी हो सकती है। कंसल्टिंग फर्म ने हाल में एक सर्वे कराया था, जिसमें शामिल 68% प्रतिभागियों ने कहा था कि डाइन-इन रेस्टूरेंट में वे खर्च काफी घटाएंगे।
लॉकडाउन का सेक्टर पर सबसे बुरा असर
देश की एक बड़े रेस्टूरेंट चेन के एग्जिक्यूटिव ने बताया, ‘लॉकडाउन का हमारे सेक्टर पर सबसे बुरा असर पड़ा है। ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि हम पूरी सैलरी का भुगतान करें। पैकेज्ड गुड्स और फूड जैसे दूसरे सेक्टर से हमारी तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि उनकी कम से कम ऑनलाइन चैनल या किराना स्टोरों के जरिए बिक्री जारी है।’
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नौकरियां जाने का खतरा
देश का रेस्टूरेंट सेक्टर का कारोबार करीब 4.2 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें 70 लाख से अधिक लोग काम करते हैं। लॉकडाउन के लागू होने से देशभर में मॉल और रेस्टूरेंट बंद हैं और उनकी आमदनी ठप है। इसके कई स्टोर के बंद होने और उसमें काम कर कर्मचारियों की नौकरियां जाने का खतरा मंडराने लगा है। ‘हमने संसाधनों की कमी के चलते सैलरी टालने का फैसला लिया है। इसे किसी और इरादे के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।’ कई कंपनियों ने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए फंड जुटाए हैं या लोन लिए हैं।
सरकार बेरोजगारी वेतन कवर लाये
उन्होंने बताया ‘सरकार को इस समय एक बेरोजगारी वेतन कवर के साथ आगे आना चाहिए। इसके लिए एंप्लॉयी स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के कैश रिजर्व और प्रॉविडेंट फंड की दावा नहीं की गई राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम अगले महीने और गहरे संकट में होंगे और कई कंपनियां तो थोड़ा भी भुगतान नहीं कर पाएंगी।’
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