Lok Sabha Elections से पहले चुनाव आयुक्त अरूण गोयल का इस्तीफा

अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था. लेकिन अचानक उन्होंने तीन साल पहले स्तीफा दे दिया.

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लोकसभा चुनाव से पहले एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है. चुनाव आयुक्‍त अरुण गोयल ने शनिवार को इस्‍तीफा दे दिया है. उनका इस्‍तीफा भी राष्‍ट्रपति ने स्‍वीकार कर लिया है. शनिवार 9 मार्च को जारी गजट नोटिफिकेशन में इसके बारे में जानकारी दी गई. गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग में मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त और दो चुनाव आयुक्‍त होते हैं. पहले से ही एक चुनाव आयुक्‍त का पद खाली है. अब अरुण गोयल के इस्‍तीफे के बाद पूरी जिम्‍मेदारी मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार के कंधों पर आ गई है. अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था. लेकिन अचानक उन्होंने तीन साल पहले स्तीफा दे दिया. हालांकि इसके कोई स्पष्ट कारण नही बताए गए हैं लेकिन अचानक उनके स्तीफे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

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मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे गोयल

अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) बनने की कतार में थे. मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार फरवरी 2025 में रिटायर होने वाले हैं. गोयल पंजाब कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. उन्‍होंने 18 नवम्बर 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और उसके ठीक एक दिन के बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था. उन्होंने 21 नवम्बर 2022 में चुनाव आयुक्त का पद संभाला था. हालांकि अभी यह पता नहीं चल सका है कि अरुण ने अपने पद से इस्तीफा क्यों दिया.

गोयल की नियुक्ति को दी गई थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

अरूण गोयल की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की तरफ से दखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि अरुण गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है. यह निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का उल्लंघन है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ-साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है. जनहित याचिका से पहले एडीआर ने निर्वाचन आयुक्तों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा. याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था. इस याचिका को पिछले साल दो न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था.

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