यहां है 45 हजार गायों की गोशाला, शानदार इंतजाम

0

देश में गायों को लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है। कई गौशालाओं में गंदगी और भूख से गायों के मरने की खबरें आ रही हैं। चारे के अभाव में गायों को सड़कों पर खुला छोड़ा जा रहा है। छोटी-छोटी गौशालाओं के संचालक खुद गायों को दूसरी जगहों पर छोड़कर आ रहे हैं। लेकिन हम मथुरा के बरसाना स्थित एक ऐसी गौशाला पहुंचे, जहां 45 हजार गायों का पालन-पोषण हो रहा है।

also read : वीडियो अपलोड करने की धमकी देकर ब्‍लैकमेल किया जा रहा’: क्रिकेटर

जी हां, हम बात कर रहे हैं मानमंदिर गोशाला की। जब न्यूज18 की टीम गौशाला पहुंची तो गेट पर खड़ी एक गाड़ी में 27 गायें लदी हुईं थीं। पूछने पर गाड़ी वालों ने बताया कि वो मथुरा के ही एक गांव शेरगढ़ से आए हैं। उनके पास अब गायों को खिलाने के संसाधन नहीं हैं, इसलिए गायों को इस बड़ी गौशाला में छोड़ने आए हैं।

117 एकड़ में फैली है

गौशाला के एक सेवक ब्रजेन्द्र शर्मा बताते हैं कि ये गौशाला मथुरा के बरसाना में मानपुर गांव में संचालित हो रही है। ये 117 एकड़ में फैली हुई है। उन्होंने बताया कि 7 जुलाई 2007 को पांच गायों से इसकी शुरुआत हुई थी। उस वक्त इसे एक बड़ी गौशाला का रूप देने की मंशा नहीं थी। पहाड़ी पर स्थित मानमंदिर में आने वाले साधु-संतों की दूध की जरूरत को पूरा करने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी। लेकिन आज इसमें गायों के साथ-साथ 24,000 सांड और बछड़े भी हैं।

25 से 28 लाख रुपये रोज खर्च होता है गायों पर

शर्मा का कहना है कि गौशाला में 45 हजार गायों की देखभाल करने के लिए 370 कर्मचारी हैं। डीजल से चलने वाले कई तरह के वाहन भी गौशाला की साफ-सफाई और चारे का इंतजाम करने में लगे हैं। गायों का पेट भरने के लिए हरा चारा, भूसा, चूनी, खल और दूसरी चीजें उन्हें खिलाई जाती हैं। जिन पर रोजाना 25 से 28 लाख रुपये तक का खर्च आता है।

बाजार से रोज आता है 1200 किलो हरा चारा

गौसेवक राधाकांत शास्त्री बताते हैं कि सर्दी और बरसात के मौसम में गायों के लिए हरा चारा आसानी से मिल जाता है। आजकल बाजार में खूब हरा चारा मौजूद है। भूसे और चूनी के साथ गायों को हरा चारा मिलाकर दिया जाता है। इस वक्त रोज गौशाला में 1200 किलो हरा चारा आ रहा है। जिसे कटाई के बाद गायों को खिलाया जा रहा है।

also read : गिरिराज : ये मोदी की कूटनीतिक जीत है

इसके अलावा सफल मटर कंपनी, कासगंज से मटर के छिलके और दूसरे जिलों से गन्‍ना (ईंख) भी मंगाया जा रहा है। हमने देखा कि गोपालन में मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। चारा तैयार करने के लिए यहां 8 बड़े मिक्सर हैं। इनमें भूसा, चूनी, खल और हरा चारा डाल दिया जाता है। मिक्सर इन सब को मिलाकर चारा तैयार कर देता है। इसके बाद इसी मिक्सर की सहायता से गायों के बाड़े में चारा डाल दिया जाता है। मिक्सर की मदद करने के लिए जेसीबी और टैक्टर भी लगे हुए हैं।

315 टन भूसे की हर रोज होती है जरूरत

हरा चारा तो स्‍थानीय स्‍तर पर मिल जाता है। भूसा मध्य प्रदेश से आता है. एक गाय हर रोज करीब 7 से 8 किलो भूसा खाती है। इस लिहाज से रोजाना 45 हजार गायों के लिए 315 टन भूसे की जरूरत होती है। इसी तरह से एक गाय को हर रोज करीब डेढ़ किलो चोकर दी जाती है। जिसके लिए 68 टन चोकर की जरूरत पड़ती है।इस वक्त गाेशाला में करीब 1300 से 1500 गायें ऐसी हैं जो पांच लीटर या उससे कम दूध दे रही हैं। इस दूध को निकाला नहीं जाता। गोशाला में बछड़े भी हैं, जिन्हें ये दूध पिला दिया जाता है। इसी के साथ गोशाला में 700 ऐसी गायें हैं जो आठ लीटर तक दूध दे रही हैं। इस दूध को निकालकर दिल्ली की एक डेयरी को दे दिया जाता है। इस पैसे को गोशाला में ही खर्च कर दिया जाता है।

बीमार गायों का इलाज भी किया जाता है यहां

गोशाला में बीमार गायों को भी लेते हैं। बीमार गाय लेने के बाद गोशाला में ही उनकी सेवा की जाती है। डॉक्टर से इलाज कराया जाता है। गोशाला में ही दवाई भी रखी जाती हैं। सैकड़ों गायें आज ठीक होकर गाेशाला में घूम रही हैं। जब हम गोशाला में घूम रहे थे उसी वक्‍त डॉक्‍टर कुछ बीमार गायों का इलाज करने में जुटे हुए थे।

गोशाला में गौमूत्र से बनाई जा रही हैं दवाई

गोशाला में बड़ी मात्रा में गौमूत्र भी जमा हो जाता है। इस गौमूत्र का इस्तेमाल दवाई बनाने में होता है। गोमूत्र को फिल्टर कर दवाई में डाला जाता है। इसके लिए गोशाला में अलग से एक फॉर्मेसी बनाई गई है। फॉर्मेसी के जरिए ही दवाई सभी लोगों को बेची जाती है।

(news18)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More