जानें कितना सही-कितना ग़लत है RBI से सरकार का पैसा लेना

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हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा RBI से एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए लिए गए हैं, जिसकी चर्चा इन दिनों पूरे देश में ज़ोरों शोरों से जारी है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपए लाभांश और सरप्लस पूंजी के तौर पर देने का फ़ैसला किया था। समाचार एजेंसी PTI की मानें तो, इसमें से 28,000 करोड़ रुपए अंतरिम लाभांश के तौर पर सरकार को पहले ही मिल चुके हैं। जानकारों का मानना है कि, जब अर्थव्यवस्था की रफ़्तार सुस्त हो रही है, नौकरियां जा रही हैं, लोग खर्च कम कर रहे हैं, रियल स्टेट और ऑटो सेक्टर की हालत खस्ता है। ऐसे में सरकार के लिए RBI का ये फ़ैसला काफ़ी राहत देने वाला साबित होगा। ग़ौरतलब है कि, यह फ़ैसला साल 2018 में पूर्व RBI गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में बनाई गई एक समिति के सिफ़ारिशों के आधार पर किया गया है। सीधे और आसान शब्दों में समझें तो, रिज़र्व बैंक अपने दो रिज़र्व से एक बड़ी रक़म केंद्र सरकार को देगी।

सरकार नहीं बता रही इस रिज़र्व का क्या होगा:

ज्ञात हो कि, मोदी सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि, इस रिज़र्व के पैसों का किया जाएगा। इस बार लाभांश क़रीब 1.2 लाख करोड़ का है, यानी पिछली बार के सबसे ज़्यादा लाभांश का दोगुना। साल 2017-18 में यह आंकड़ा 40,659 रुपए करोड़ का था। साल 2016-17 में 30,659 करोड़ रुपए और साल 2015-16 में 65,876 करोड़ रुपए. इसलिए चिंता ये है कि, क्या सरकार रिज़र्व बैंक से बहुत ज़्यादा पैसा निकाल रही है। सवाल ये है कि, सरकार इतनी बड़ी धनराशि का कैसे इस्तेमाल करेगी? क्या इसका एक हिस्सा बैंकों की आर्थिक तौर पर मज़बूत बनाने के लिए किया जाएगा?

क्या इससे RBI कमज़ोर होगा?:

इस मामले में कई लोग यह भी चिंता जता रहे हैं कि, क्या इससे RBI कमज़ोर हो जाएगा? ग़ौरतलब है कि, 1.76 लाख करोड़ में से लाभांश 1.2 लाख करोड़ का होगा। जबकि, क़रीब 52 हज़ार करोड़ कंटिंजेंसी रिज़र्व में से आएंगे। कंटिंजेंसी रिज़र्व मतलब इमर्जेंसी के दौरान इस्तेमाल होने वाली धनराशि के लिए फंड। ज्ञात हो कि, कई बार मनी मार्केट में एक बड़े पेमेंट के रुकने से असर कई जगहों पर पड़ता है और इससे भुगतान के रुकने का एक सिलसिला यानी एक चेन सी बन जाती है। ऐसी स्थितियों के लिए कंटिंजेंसी रिज़र्व होना ज़रूरी होता है।

दरअसल, हर साल रिज़र्व बैंक सरकार को लाभांश देती है और अर्थशास्त्रियों की मानें तो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं है। क्योंकि, RBI सरकार की एजेंसी है। बीते कई सालों से बात चल रही थी कि, RBI के पास ज़रूरत से ज़्यादा पैसे इकट्ठा हो रहे हैं और हर साल RBI सरकार को जो डिविडेंड या लाभांश देती है उसे बढ़ाना चाहिए।

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