भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव-2 के रूप में नियुक्त किया गया है. केंद्र सरकार ने शनिवार को इस नियुक्ति की घोषणा की. उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक या अगले आदेश तक जारी रहेगा. इस पद पर रहते हुए वह प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
एक अनुभवी प्रशासक
शक्तिकांत दास 1980 बैच के तमिलनाडु कैडर के सेवानिवृत्त IAS अधिकारी हैं. उन्हें वित्तीय और आर्थिक मामलों का गहरा अनुभव है. उनके नेतृत्व में RBI ने वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने और नीतिगत सुधारों को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके साथ पीके मिश्रा प्रमुख सचिव-1 के रूप में कार्यरत रहेंगे.
नोटबंदी और GST में अहम भूमिका
शक्तिकांत दास ने 2016 में हुई नोटबंदी और 2017 में लागू हुए GST (माल एवं सेवा कर) के क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाई.
नोटबंदी (2016) उस समय वे आर्थिक मामलों के सचिव थे और 500 व 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले में शामिल थे. इस कदम का उद्देश्य काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाना था. हालांकि इस फैसले की आलोचना भी हुई, लेकिन दास ने इसे देश के आर्थिक सुधार के लिए जरूरी बताया.
GST (2017) भारत में कर सुधारों का सबसे बड़ा कदम माने जाने वाले GST को लागू करने में भी उन्होंने अहम योगदान दिया. उन्होंने राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर इसे सुचारू रूप से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इससे अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाने और कर अनुपालन को बढ़ावा देने में मदद मिली.
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RBI गवर्नर के रूप में प्रभावशाली कार्यकाल
शक्तिकांत दास RBI के 25वें गवर्नर रहे और उन्होंने 11 दिसंबर 2018 को उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद यह पदभार संभाला. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी.
कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए.
IMF, G20 और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रभावशाली प्रतिनिधित्व किया.
IBC (इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण व विलय जैसे आर्थिक सुधारों को लागू किया.