कैसे लड़ रहा है Corona से दक्षिण कोरिया, शहर व जनजीवन ठप
दक्षिण कोरिया की आबादी 5 करोड़ है। 29 फरवरी को यहां कोरोना(corona) वायरस के 909 मामले सामने आए थे। 17 मार्च को 74 नए मामले ही सामने आए। तीसरा दिन है जब 100 से कम नए मामले सामने आए हैं। यहां पर 8,413 मामले सामने आए हैं और 84 लोगों की मौत हुई है। 1540 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना वायरस से लड़ रहे मुल्कों में यह अकेला देश है जिसने अपनी ज़िंदगी ठप्प नहीं की। अपने शहरों में तालाबंदी नहीं की है। दक्षिण कोरिया ने यह सब कैसे हासिल किया?
चीन में कोरोना(corona) वायरस की ख़बर आते ही दक्षिण कोरिया की चार निजी कंपनियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के पैमाने के हिसाब से टेस्ट किट का निर्माण शुरू कर दिया। इस कारण समय रहते दक्षिण कोरिया के पास इतने टेस्ट किट हो गए कि एक दिन में 10,000 सैंपल की जांच की जा सकती थी। अब इसकी क्षमता बढ़ कर एक दिन में 15000 सैंपल जांच करने की हो गई है। दक्षिण कोरिया अपने पुराने अनुभवों से सीख चुका था। इस बार उसने समय रहते अपनी तैयारी पूरी कर ली थी।
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मीडिया में छपी जानकारियों के मुताबिक दक्षिण कोरिया में अभी तक 2,70,000 ससे अधिक लोगों के सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। दस लाख की आबादी पर 5200 सैंपल टेस्ट किए गए हैं। अमरीका दस लाख की आबादी में मात्र 74 सैंपल टेस्ट कर पा रहा है। 13 मार्च तक भारत ने 6000 सैंपल ही टेस्ट किए थे। ICMR के मुताबिक 18 मार्च तक भारत में 12,351 सैंपल टेस्ट किए गए हैं। कुल 145 सैंपल ही पोज़िटिव पाए गए हैं। भारत में उन्हीं का सैंपल टेस्ट हो रहा है जो हाल फिलहाल में विदेश से आए हैं। एक दलील यह भी दी जा रही है कि भारत को अपने नियमों में ढील देकर ज्यादा सैंपल की जांच करनी चाहिए। यह अलग से एक विषय है, फिलहाल इस लेख में चर्चा दक्षिण कोरिया की।
इसके बाद दक्षिण कोरिया ने तय किया कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की जांच करेंगे ताकि यह साफ हो जाए कि कौन संक्रमित है और कौन नहीं। इसके लिए 50 ड्राइव थ्रू टेस्ट स्टेशन बनाए गए। जहां पूरी प्रक्रिया में दस मिनट लगते हैं और चंद घंटों में रिज़ल्ट दे दिया जाता है। आप अपनी कार लेकर जाएं, सैंपल दें और रिज़ल्ट पाएं। जिन लोगों का पोज़िटिव पाया गया उनके सेल फोन रिकार्ड और क्रेडिट कार्ड के रसीद से पता किया गया कि कहां कहां गया था। और यह जानकारी आनलाइन कर दी गई ताकि दूसरे भी देख सकें कि उस वक्त उस व्यक्ति के पास तो नहीं थे। जैसे अगर कोई सिनेमा देखने गया तो सीट नंबर के साथ जानकारी पब्लिक कर दी गई। ताकि अगल-बगल बैठे लोगों को पता चल जाए और वे अपना सैंपल दे सके।
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यही नहीं इसकी भी नगरपालिका की वेबसाइट पर जानकारी दी जाती है कि जिसका सैंपल पोज़िटिल निकला है वो कहां रहता है। कहां काम करता है ताकि उक्त मरीज़ के संपर्क में आया हर कोई सतर्क हो जाए। दक्षिण कोरिया के लोग आम तौर पर मास्क लगा कर निकलते हैं। कई हाउसिंग सोसायटी में लिखा है कि बगैर मास्क वाले के प्रवेश पर रोक है।
दक्षिण कोरिया का अनुभव बता रहा है कि ऐसी महामारी की स्थिति में आप तभी लड़ सकते हैं जब आपके पास सैंपल जांच करने की व्यवस्था मुकम्मल हो। पोज़िटिव पाए गए मरीज़ के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का सिस्टम मौजूद हो। जिसे क्वारेंटिन किया जा रहा है उसे मेडिकल टीम दिन में दो बार फोन करती है। चेक करती है कि कहीं बाहर तो नहीं निकला। कानून तोड़ने पर 3 लाख वॉन का जुर्माना तय किया गया है।
[bs-quote quote=”ये लेखक के अपने विचार हैं। यह लेख रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से लिया गया है।” style=”style-13″ align=”left” author_name=”रवीश कुमार” author_job=”वरिष्ठ पत्रकार” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/03/ravish-kumar_650x400_81496682255.jpg”][/bs-quote]
दक्षिण कोरिया में ज्यादातर युवा कोरोना(corona) वायरस की चपेट में आए हैं। ऐसी महिलाओं में सैंपल पोज़िटिव पाया गया है जो सिगरेट नहीं पीती हैं। सिगरेट पीने वालों के बचने या ठीक होने की दर काफी खराब है। लोगों को मोबाइल फोन पर अलर्ट भेजे जा रहे हैं।
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दक्षिण कोरिया का कहना है कि पूरे शहर को बंद करना सही तरीका नहीं है। इसके बजाय ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच होनी चाहिए। उन पर नज़र रखी जानी चाहिए और डेटा सबके साथ साझा करना चाहिए। दक्षिण कोरिया ने बाहर से आने वाली उड़ानों को भी रद्द नहीं किया है।
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