वाराणसी: दिव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम में पारंपरिक लोकोत्सव रंग भरी एकादशी का तीन दिवसीय समारोह हर्षोल्लास और लोकमानस के सानिध्य से भव्य रूप से मनाया जा रहा है. समारोह के दूसरे दिन प्रातः काल से ही धाम में हर तरफ रंगभरी एकादशी उत्सव का उत्साह चरम पर दिखा. धाम में पधारे श्रद्धालु, विशिष्ट अतिथि और लोक मानस श्री काशी विश्वनाथ एवं माता गौरा की हल्दी उत्सव में पूरे भक्तिभाव से शामिल हुए.
काशी विश्वनाथ को अर्पित हुआ गुलाल- अबीर…
श्री कृष्ण जन्मस्थली मथुरा से श्री काशी विश्वनाथ महादेव के लिए लाये गये अबीर- गुलाल एवं उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से धाम में पधारे वनवासी समाज के भक्तों ने राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को श्री काशी विश्वनाथ महादेव को विधि- विधान से अर्पित किया. मंदिर न्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण एवं डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण ने विश्वेश्वर महादेव का पूजन कर हर्बल गुलाल चढ़ाया. इसके पश्चात पालकी पर विराजमान श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा की चल रजत प्रतिमा प्रांगण में भ्रमण करते हुए मंदिर चौक पहुंची. चल रजत प्रतिमा के विराजमान होते ही भक्तों ने हल्दी, पुष्प, अबीर- गुलाल अर्पित कर मंगल गीत गए.
श्री काशी विश्वनाथ धाम गुंजायमान हो गया. सायंकल फूलों से सजी पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव और मां गौरा की चल रजत प्रतिमा मंदिर प्रांगण में भ्रमण करते हुए मंदिर चौक पहुंची. श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव के जोरदार उद्घोष से पालकी यात्रा का स्वागत किया. मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने धाम में पहुंचकर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा को हल्दी, गुलाल एवं पुष्प अर्पित कर मंगल कामना की. श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा का हल्दी उत्सव धाम में आए श्रद्धालुओं एवं काशीवासियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी अर्पण करने की की परम्परा का निर्वहन किया.
श्री कृष्ण जन्मस्थली से श्री काशी विश्वनाथ महादेव के लिए उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, सोनभद्र से आए वनवासी समाज के भक्त एवं प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक विक्रम सम्पत उपस्थित रहे. त्रिदिवसीय रंगभरी एकादशी उत्सव में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परम्परा का निर्वहन कर रहा है.
रंगोत्सव में काशी के भक्त एकजुट होकर श्री काशी विश्वनाथ महादेव के प्रति आस्था को प्रदर्शित कर रहे हैं. तीन दिनी उत्सव के जरिए धार्मिक, सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण भी किया जा रहा है. उत्सव में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें शिवार्चन मंच पर कलाकारों ने अपने सुर-ताल से श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा को भावांजलि अर्पित की. कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुक्त कर दिया.
सांस्कृतिक प्रस्तुति की शुरुआत गायिका दिव्या दुबे ने होली गीतों से किया इसके उपरांत दूसरी प्रस्तुति डा अर्चना महेस्कर द्वारा शास्त्रीय भजन गायन की प्रस्तुति की गयी, कार्यक्रम की श्रृंखला में तीसरी प्रस्तुति मधुमिता भट्टाचार्य द्वारा शास्त्रीय भजन संध्या की रही चौथी प्रस्तुति डॉ हरिप्रसाद पौड्याल द्वारा बांसुरी वादन की रही पांचवी प्रस्तुति जय कोकिल पाण्डेय द्वारा भजन संध्या की रही एवं अंतिम प्रस्तुति डॉ प्रियम्बदा तिवारी द्वारा भरतनाट्यम की रही.