राजस्थान कांग्रेस में कलह, BSP हुई एक्टिव, मायावती के भतीजे ने लिए बड़े फैसले
इन दिनों राजस्थान कांग्रेस में कलह चल रही है. जिसको लेकर बहुजन समाज पार्टी तेजी से एक्टिव हो गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे व पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने राजस्थान में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी की राज्य इकाई के साथ बीते सोमवार को बैठक की. बैठक से पहले आकाश आनंद ने अपने ट्विटर हैंडल से लगातार कई ट्वीट किये.
पहले ट्वीट में आकाश आनंद ने लिखा
‘आज बीएसपी राजस्थान प्रदेश की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए. पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए आदरणीय मायावती जी के निर्देशानुसार राजस्थान को दो ज़ोन में बांटा गया है. पहले ज़ोन में 16 जिले रखे गए हैं और दूसरे ज़ोन में 17 जिले रखे गए हैं.’
आकाश आनंद ने दूसरे ट्वीट में लिखा
‘पहले ज़ोन की ज़िम्मेदारी माननीय राम जी गौतम जी एवं प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा को दी गई है और दूसरे ज़ोन की ज़िम्मेदारी पूर्व सांसद माननीय अशोक सिद्धार्थ जी के साथ श्री सुरेश आर्य जी और प्रदेश उपाध्यक्ष सीताराम मेघवाल जी को दी गई है.’
आकाश आनंद ने तीसरे ट्वीट में लिखा
‘आदरणीय मायावती जी के आदेशानुसार श्री प्रेम बारूपाल जी, श्री देवी सिंह मीणा जी, श्री विजय कुमार बैरवा जी और श्री रामजीवन एडवोकेट जी को राजस्थान प्रदेश का कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है.’
आकाश आनंद ने चौथे ट्वीट में लिखा ‘बीएसपी एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार है और कभी परिवार के सदस्यों से गलती हो जाए तो उसे दिल से नहीं लगाया जाता. अपनी गलती स्वीकार करने और आदरणीय मायावती जी से माफी मांगने के बाद निष्काषित हुए सभी 12 कार्यकर्ताओं को पार्टी में वापस लेने का निर्णय लिया गया है.’
आकाश आनंद ने पांचवें ट्वीट में लिखा
‘आज बीएसपी राजस्थान प्रदेश की बैठक में यह तय किया गया कि आने वाले 2023 में हर हाल में राजस्थान में बीएसपी को बैलेंस ऑफ पावर बनाकर सरकार बनानी है. सभी जिला प्रभारी एवं जिलाध्यक्षों से मिले आश्वासन ने उम्मीद जगी है कि इस बार राजस्थान से अच्छा रिजल्ट मिलेगा.’
आज बीएसपी राजस्थान प्रदेश की बैठक में यह तय किया गया कि आने वाले 2023 में हर हाल में राजस्थान में बीएसपी को बैलेंस ऑफ पावर बनाकर सरकार बनानी है।सभी जिला प्रभारी एवं जिलाध्यक्षों से मिले आश्वासन ने उम्मीद जगी है कि इस बार राजस्थान से अच्छा रिजल्ट मिलेगा। 5/5
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) September 26, 2022
बता दें भाजपा के साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही कांग्रेस ढलान पर दिख रही है. साल 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों में जीत हासिल करने के अलावा कोई ऐसा मौका नहीं रहा, जो कांग्रेस को राहत दे सके. इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, गुलाम नबी आजाद और सुष्मिता देव समेत कई बड़े और करीबी नेताओं ने कांग्रेस पार्टी ही छोड़ दी. कपिल सिब्बल ने तो सपा के समर्थन से राज्यसभा का टिकट कटा लिया.
इसके अलावा, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता ने पंजाब में अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा और कांग्रेस को हराने में भूमिका अदा की. सुनील जाखड़ जैसे नेताओं ने 5 दशक पुराना साथ छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली और गुलाम नबी आजाद ने तो बीते सोमवार को ही अपनी लोकतांत्रिक आजाद पार्टी बना ली.
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