श्री राम के वनवास जाने के पीछे छिपी है दशरथ के मुकुट की ये सच्चाई…

अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका सामना बाली से हो गया।

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अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका सामना बाली से हो गया। राजा दशरथ(raja dashrath) की किसी बात से नाराज होकर बाली ने उन्हें युद्ध के लिए चुनोती दी। राजा दशरथ(raja dashrath) की तीनो रानियों में से कैकयी अश्त्र शस्त्र एवं रथ चालन में पारंगत थी।

अतः अक्सर राजा दशरथ जब कभी कही भ्रमण के लिए जाते तो कैकयी को भी अपने साथ ले जाते थे इसलिए कई बार वह युद्ध में राजा दशरथ के साथ होती थी। जब बाली एवं राजा दशरथ के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था उस समय संयोग वश रानी कैकयी भी उनके साथ थी।

युद्ध में बाली राजा दशरथ(raja dashrath) पर भारी पड़ने लगा

युद्ध में बाली राजा दशरथ(raja dashrath) पर भारी पड़ने लगा वह इसलिए क्योंकि बाली को यह वरदान प्राप्त था की उसकी दृष्टि यदि किसी पर भी पड़ जाए तो उसकी आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाती थी। अतः यह तो निश्चित था की उन दोनों के युद्ध में हार राजा दशरथ की ही होगी।

मुकुट वहां छोड़ रानी कैकेयी के साथ वापस अयोध्या लौटना पड़ा

राजा दशरथ के युद्ध हारने पर बाली ने उनके सामने एक शर्त रखी कि या तो वे अपनी पत्नी कैकयी को वहां छोड़ जाएं या रघुकुल की शान अपना मुकुट यहां पर छोड़ जाए। तब राजा दशरथ को अपना मुकुट वहां छोड़ रानी कैकेयी के साथ वापस अयोध्या लौटना पड़ा।

रानी कैकयी को यह बात बहुत दुखी कर गई, आखिर एक स्त्री अपने पति के अपमान को अपने सामने कैसे सह सकती थी. यह बात उन्हें हर पल कांटे की तरह चुभने लगी की उनके कारण राजा दशरथ(raja dashrath) को अपना मुकुट छोड़ना पड़ा।

बाली से मुकुट वापस लेकर आना है

वह राज मुकुट की वापसी की चिंता में रहतीं थीं। जब श्री रामजी(shree ram) के राजतिलक का समय आया तब दशरथ जी व कैकयी को मुकुट को लेकर चर्चा हुई। यह बात तो केवल यही दोनों जानते थे। कैकेयी ने रघुकुल की आन को वापस लाने के लिए श्री राम के वनवास का कलंक अपने ऊपर ले लिया और श्री राम को वन भिजवाया। उन्होंने श्री राम(shree ram) से कहा भी था कि बाली से मुकुट वापस लेकर आना है।
श्री राम(shree ram) जी ने जब बाली को मारकर गिरा दिया। उसके बाद उनका बाली के साथ संवाद होने लगा।प्रभु(shree ram) ने अपना परिचय देकर बाली से अपने कुल के शान मुकुट के बारे में पूछा था। तब बाली ने बताया- रावण को मैंने बंदी बनाया था। जब वह भागा तो साथ में छल से वह मुकुट भी लेकर भाग गया।प्रभु मेरे पुत्र को सेवा में ले लें, वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर आपका मुकुट लेकर आएगा।

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