रेल हादसे के बाद दार्जिलिंग में बहाल हुई रेल सेवाएं, कुछ ट्रेने रद्द तो कुछ किया गया डायवर्जन
पश्चिम बंगाल में बीते सोमवार (17 जून) को न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास एक मालगाड़ी ने सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन में भयंकर टक्कर मार दी थी, जिसकी वजह से ट्रेन के तीन पिछले डिब्बे पटरी से उतर गए. इस हादसे में कम से कम 15 लोग मर गए हैं और करीब 60 लोग घायल हैं, जिनका अभी भी इलाज चल रहा है. वहीं, हादसे के बाद कई ट्रेनों को रोक दिया गया, जिससे यात्रियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब दार्जिलिंग जिले के फांसीदेवा क्षेत्र से ट्रेन सेवाएं फिर से शुरू हो गई हैं.
पश्चिमी सीमांत रेलवे की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, आज पांच ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं: (15719) कटिहार-सिलीगुड़ी इंटरसिटी एक्सप्रेस, (15720) सिलीगुड़ी-कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस, (12042) न्यू जलपाईगुड़ी-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस, (12041) हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस और (15724) सिलीगुड़ी-जोगबनी इंटरसिटी एक्सप्रेस समेत पांच ट्रेनों के संचालन को आज रोका गया है.
इन ट्रेनों के समय में हुआ बदलाव
पूर्वी सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने बताया कि, न्यू जलपाईगुड़ी से नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन संख्या 12523 सुपरफास्ट एक्सप्रेस का समय बदलकर 12 बजे रवाना होगी. रेलवे ने बताया कि ट्रेन संख्या 20504 नई दिल्ली से डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, 13176 सिलचर से सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस और 12523 न्यू जलपाईगुड़ी से नई दिल्ली सुपरफास्ट एक्सप्रेस को बदल दिया गया था. हादसे में घायल लोग सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उपचार प्राप्त कर रहे हैं.
तेजी से चल रहा ट्रैक मरम्मत का काम
कटिहार पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) शुभेंदु कुमार चौधरी ने बताया कि, मरम्मत कार्य रात से ही चल रहा है. हाल ही में नवीन जलपाईगुड़ी जंक्शन (NJP) की ओर अपलाइन पर इंजन की जांच की गई. आधे घंटे के भीतर इसके सामने की लाइन भी फिर से शुरू होगी. सियालदह डीआरएम दीपक निगम ने कहा कि, ”हमने यात्रियों से उनकी स्थिति के बारे में पूछा है…डॉक्टरों की टीम और आरपीएफ की टीम भी मौके पर है। हमारे पास एंबुलेंस भी स्टैंडबाय पर हैं, अगर जरूरत पड़ी तो हम उनका इस्तेमाल करेंगे…यात्रियों को मार्गदर्शन देने के लिए मेडिकल बूथ भी यहां मौजूद हैं”
रेल हादसे की वजह
रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया सिन्हा ने प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सिग्नल की अनदेखी को रेल हादसे का कारण बताया है. यह बिल्कुल मानवीय भूल है. जिस रूट पर बंगाल में रेल दुर्घटना हुई, उस पर अभी कवच प्रणाली नहीं लगाई गई है. इस सबको लेकर रेलवे ने कहा है कि, रेलवे ने कहा कि दिल्ली-गुवाहटी रेलवे लाइन को अगले वर्ष के कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा. चालू वर्ष के आखिर तक तीन हजार किमी लंबे नए ट्रैक पर कवच प्रणाली का निर्माण पूरा हो जाएगा.
वर्ष 2025 तक तीन हजार किमी और ट्रैक बनाए जाएंगे, फरवरी 2016 में एक्सप्रेस ट्रेनों में कवच लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई. परीक्षा के बाद 2018-19 में एचबीएल पावरसिस्टम्स, केर्नेक्स और मेधा को निर्माण का काम दिया गया. वही साल 2020 जुलाई में यह रेल सुरक्षा प्रणाली बन गया. प्रति किमी लगने में 50 लाख रुपये खर्च आते हैं. इसमें आप्टिकल फाइबर केबल ट्रैक पर बिछाना, दूरसंचार टावर लगाना और स्टेशनों में उपकरण लगाना शामिल है.
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ऐसे रोका जा सकता था हादसा
देश में हर बार रेल दुर्घटना होने पर कवच प्रणाली चर्चा में आती है. प्रश्न उठाया जाता है कि अगर कवच प्रणाली होती तो दुर्घटना नहीं होती. कवच एक स्वचालित ट्रेन बचाव प्रणाली है. रेलवे ने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर चलती ट्रेनों को दुर्घटना से बचाया है. लोको कवच अपने आप सक्रिय हो जाता है और चलती ट्रेन में ब्रेक लगाकर हादसे के खतरे को पूरी तरह टाल देता है जब पायलट की लापरवाही या ब्रेक लगाने में असफलता होती है।यह दोनों परिस्थितियों में दुर्घटनाओं को रोकता है। यदि दो ट्रेनें एक ही पटरी पर आमने-सामने आ रही हैं, तो दोनों ट्रेनों को लगभग चार सौ मीटर की दूरी पर खुद से ब्रेक लग जाएगा.