रैगिंग ने ले ली जान! सीनियर्स कपड़े उतार कर बुलाते थे गे, सोने नहीं देता था न्यूड का डर
देश में रैगिंग को बड़ा अपराध मानते हुए कड़ी सजा का कानून बनने के बाद रैंगिंग के मामले थम नहीं रहे हैं। विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में नया सत्र शुरू होते ही रैंगिंग की घटनाएं आने लगी हैं। पश्चिम बंगाल की जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में रैंगिंग की एक घटना ने फिर से सभी को हैरत में डाल दिया। जेयू के प्रथम वर्ष के 18 वर्षीय छात्र स्वप्नदीप कुंडू ने गुरुवार को हॉस्टल से कूदकर जान दे दी। आत्महत्या करने की वजह रैंगिंग है। मृतक छात्र छात्रावास की दूसरी मंजिल पर रहता था, वहीं से उसने छलांग लगा दी। सुसाइड से पहले छात्र ने मां को उसके साथ घटी आपबीती बताई थी। सीनियर्स उसके कपड़े उतरवा कर उसे गे बुलाते थे। यह सिलसिला मृतक के साथ कई दिनों से चल रहा था। मगर बुधवार को जब उसे न्यूड किया गया, तो सह नहीं पाया और उसने अपनी कहानी ही बंद कर दी…
सुसाइड से पहले मां को बताया था डर…
छात्र के सुसाइड मामले में अभी तक जो छानबीन हुई है, उसमें यह स्पष्ट हो गया है कि छात्र ने रैंगिंग से अपमानित होकर जना दी है। यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने के बाद छात्र के साथ रैगिंग की गई थी, जिसके बाद से वह तनाव में था। उसने अपनी मां से सुसाइड के एक दिन पहले कहा था कि वह यहां नहीं पढ़ना चाहता। उसे आकर ले जाएं। मां ने उसे समझाया था और जल्दी आने को कहा था, लेकिन अगले ही दिन मां को उसके बेटे की लाश मिली।
रैगिंग से तंग आकर दे दी जान…
मृतक छात्र स्वप्नदीप कुंडू का शव इमारत से कुछ फीट की दूरी पर पाया गया। उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे। उसके माता-पिता और छात्रों ने कहा कि सीनियर्स रैगिंग के दौरान उसे गे कहकर बुलाते थे। एक 18 साल का युवक सीनियर्स के लिए रैंगिंग का शिकार था, जो अभी स्कूलिंग से निकलकर कॉलेज की दुनिया देखने निकला ही था। बुधवार की रात को सीनियर्स ने उसके कपड़े उतरवाए और उसे गे बुलाया। वे कई दिनों से छात्र की रैगिंग कर रहे थे। स्वप्नदीप ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। वह उन लोगों से पूछता था कि उसकी रैगिंग कब बंद होगी। वह सीनियर्स की रैगिंग से परेशान हो गया है। बुधवार की रात को नंगा किए जाने के बाद वह यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाया। छात्र ने गुरुवार को उसी नग्न दशा में ही अपनी जान दे दी।
कॉलेज को पता था, फिर भी नहीं रोका
मृतक स्वप्नदीप के सहपाठियों ने बताया कि कॉलेज के डीन और शिक्षकों को भी इसकी जानकारी दी गई थी। लेकिन समय रहते किसी ने भी स्वप्नदीप की मदद नहीं की। इन सहपाठियों ने एक शिक्षक को यह भी बताया था कि स्वप्नदीप रैगिंग से इतना तनाव में है कि रात को सो भी नहीं पाता है। वहीं मृतक स्वप्नदीप के पिता ने पुलिस को बताया कि स्वप्नदीप ने बुधवार शाम को कई बार अपनी मां को फोन किया था। उसने अपनी मां से कहा था कि उसे अपनी जान को खतरा है। वह घर लौटना चाहता था। उसने अपनी मां से कहा था कि उसे आकर ले जाएं।
सूचना के बाद यूनिवर्सिटी कर रहीं इनकार
पुलिस के अनुसार, कुछ छात्रों ने कहा कि उन्होंने रात 10 बजे के आसपास डीन रजत रे को फोन किया था ताकि उन्हें स्वप्नदीप के असामान्य व्यवहार के बारे में सूचित किया जा सके, लेकिन उन्हें बताया गया कि वह अगली सुबह इस मुद्दे को देखेंगे। जबिक जे. यू. के उप-कुलपति अमिताव दत्ता ने कहा कि यह एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक हमें रैगिंग की कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन समिति इस पर गौर करेगी।’
रैगिंग का जिम्मेदार कौन ?
यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों के बयानों और छात्रों के बयानों के बाद यह समझने में देर नहीं लगती कि देश में रैंगिंग के कड़े प्रावधान होने के बाद भी रैंगिंग से जैने ऑनरकिलिंग अपराधों को जानबूझकर रोका नहीं जा रहा है। यूविवर्सिटी और कॉलेज प्रशासन आंख मूंद कर गूंगा-बहरा बनकर बैठा है और रैंगिंग के मामलों में कोई जानकारी नहीं मिली है बोलकर पल्ला झाड़ लेते हैं। आखिर रैगिंग की घटनाओं का जिम्मेदार कौन है ? लेकिन अब रैंगिंग को लेकर पुलिस प्रशासन को ठोस कार्रवाई के नियम बनाने होंगे। रैंगिंग को लेकर बनाए गए कानून को और भी प्रगाढ़ करना होगा, जिससे रैंगिंग के मामलों में कमी हो सके।
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