कांग्रेस से दूरी, दो नेताओं का ईगो या राजनीतिक गणित!

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लेफ्ट की कांग्रेस से दूरी के पीछे क्या पार्टी के दो बड़े नेताओं का आपसी ईगो है या इसके पीछे राजनीतिक गणित? सीपीएम (CPM) के कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने के फैसले के बाद यह सवाल उठने लगा है।रविवार को कोलकाता में सीपीएम की केंद्रीय समिति की बैठक में गठबंधन को लेकर प्रस्ताव पास किया गया।

वह राज्यसभा नहीं पहुंच पाए थे

सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ थे, जबकि मौजूदा महासचिव सीताराम येचुरी बीजेपी का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस के प्रति नरम रुख के हिमायती थे। दोनों नेताओं के बीच मतभेद की यह पहली घटना नहीं है। सीताराम येचुरी कांग्रेस खासकर अध्यक्ष राहुल गांधी के पसंदीदा नेताओं में से एक माने जाते हैं। जबकि प्रकाश करात के राहुल से बेहतर संबंध नहीं हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों जब कांग्रेस सीताराम येचुरी को दोबारा राज्यसभा भेजने के लिए मदद करने को तैयार थी, तब भी प्रकाश करात गुट ने इसका विरोध किया था और वह राज्यसभा नहीं पहुंच पाए थे।

बंगाल यूनिट येचुरी तो केरल-त्रिपुरा करात के साथ

इस समय देश में लेफ्ट की दो राज्यों में सरकार है। एक केरल और दूसरा त्रिपुरा में। दोनों जगहों की इकाई करात गुट की समर्थक है। यही कारण है कि वह पार्टी में अधिक मजबूत हैं। सीपीएम के एक नेता का कहना है कि दोनों राज्यों में कांग्रेस मुख्य विरोधी पार्टी है। ऐसे में उनका विरोध स्वाभाविक है। हालांकि, त्रिपुरा में बीजेपी के तेजी से उभरने के बाद एक गुट जरूर इस बार कांग्रेस से गठबंधन की वकालत के पक्ष में था। पार्टी ने गठबंधन के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वहीं पश्चिम बंगाल में येचुरी गुट हावी है। वहां कांग्रेस से गठबंधन भी हुआ था, लेकिन पार्टी के स्तर पर खारिज होने के बाद सीताराम येचुरी अलग-थलग पड़ गए।

सता रहा डर, दीदी के साथ न चले जाएं राहुल

पार्टी को लग रहा है कि कांग्रेस से गठबंधन खारिज करने के बाद राहुल गांधी ममता बनर्जी की टीएमसी के साथ भी जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी के लिए बंगाल में हालात और खराब हो सकते हैं। बंगाल में बीजेपी पहले ही उभर रही है। यही कारण है कि रविवार को पार्टी की ओर से डैमेज कंट्रोल की भी कोशिश की गई।

कांग्रेस की पूरे घटनाक्रम पर नजर

पार्टी नेता सुधाकर रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी का आम तौर पर मत है कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक बड़े मंच पर एकजुट होना चाहिए, लेकिन चुनावी गठबंधन एक अलग मामला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करने या न करने के बारे में हमने फैसला नहीं किया है। हमने ऐसा कोई फैसला नहीं किया है। वहीं कांग्रेस भी लेफ्ट के बीच चल रहे उठापठक पर नजर रख रही है और जल्दबाजी में कोई बयान देने का जोखिम नहीं उठाना चाहती।

nbt

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