5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने पुतिन

तीसरा विश्वयुद्ध ज्यादा दूर नही- पुतिन

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नई दिल्ली: रूस के व्लादिमीर पुतिन ( PUTIN )  5वीं बार देश के राष्ट्रपति बन गए हैं. पुतिन ने लगभग 88 फीसद मतदान पाकर यह चुनाव जीता है. इस जीत के साथ पुतिन का राष्ट्रपति  ( PRESIDENT ) बनना तय हो गया है. चुनाव जीतने के बाद पुतिन ने संबोधित करते हुए पश्चिमी देशों को धमकी देते हुए उन्हें तीसरे विश्वयुद्ध ( THIRD WORLD WAR )  की चेतावनी दी.

नाटो के सैनिक यूक्रेन में मौजूद- पुतिन

गौरतलब है कि 1962 में हुए क्यूबा मिसाइल अटैक के बाद से रूस और पश्चिमी देशों के संबंध सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने बीते महीने ही भविष्य में यूक्रेन में अपने सैनिकों को उतारने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया, जबकि पुतिन ने कहा कि- ‘आज के आधुनिक दौर में कुछ भी संभव है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो तीसरा विश्वयुद्ध ज्यादा दूर नहीं है.’

2000 में बने पहली बार राष्ट्रपति

बता दें कि व्लादिमिर पुतिन पहली बार रूस में 2000 में राष्ट्रपति बने और 2008 तक इस पद पर रहे. वहीं, 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति मेदवेदेव ने पुतिन को अपनी पार्टी से राष्ट्रपति के लिए चुना और तब पुतिन ने जीत हासिल करने के बाद से लेकर आज तक राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं.

दुनिया के सबसे ताकतवर इंसानों में है पुतिन-

गौरतलब है कि फोब्स ने दुनिया से सबसे ताकतवर इंसान के रूप में पुतिन को 2013 से लेकर 2016 तक लगातार 4 बार सबसे शक्तिशाली इंसान घोषित किया है. इतना ही नहीं पुतिन रूस में सबसे ज्यादा अमीर व्यक्ति माने जाते हैं. साथ ही इनकी बेटियों की भी गिनती रूस की सबसे अमीर लड़कियों में होती है.

भारत के कैसे अलग है रूस का सिस्टम

बता दें कि भारत से रूस का सिस्टम सबसे अलग है. भारत में संसद कहते है जबकि रूस में फेडरल असेंबली कहते हैं. भारत की तरह इसके भी दो भाग होते हैं. उच्च सदन को काउंसिल ऑफ फेडरेशन और निचले सदन को स्टेट डुमा कहते हैं लेकिन भारत में सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री होता है जबकि रूस में राष्ट्रपति शक्तिशाली होता है. भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां रूस के राष्ट्रपति की तरह होती है.

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2036 तक बने रहे सकते हैं राष्ट्रपति

कहा जा रहा है कि पुतिन रूस में 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं. क्योंकि रुसी संविधान में संसोधन होने के बाद यह समय सीमा चार साल से बढ़ाकर 6 साल कर दी है. वहीं, 2020 में संविधान संसोधन के जरिए पुतिन ने जनमत संग्रह करवाया जिसके बाद पुतिन के 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया है.

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