वायनाड में शवों के मिलने का सिलसिला जारी, मौत का आंकड़ा 300 के पार पहुंचा…
तीन दिन बाद भी वायनाड में लैंडस्लाइड के चलते हुई त्रासदी में मारे गए लोगों के शवों के मिलने का सिलसिला जारी है. चौथे दिन भी गांव और जंगलों के मलबे से लोगों के शव बरामद किए जा रहे हैं. यह आंकड़ा अब 308 तक पहुंच चुका है. हालांकि, राहत और बचाव कर्मियों ने अभी तक 195 शव बरामद किए है. बाकी के आंकड़ें लोगों के शरीर के अंगों से लगाएं जा रहे हैं यानी बाकी के लोगों के शरीर के हिस्सों से उनकी मौत का अंदाजा लगाया गया है.
आपको बता दें कि, सेना, नेवी और एयरफोर्स से बचाव कर्मियों की 40 टीमें लोगों के बचाव में जुटी हुई हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन को बेहतर बनाने के लिए सर्च क्षेत्र को छह अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है. पहले क्षेत्र में अट्टामाला और आरणमाला हैं, दूसरा क्षेत्र मुंडकई है, तीसरा क्षेत्र पुंजरीमट्टम है; चौथा क्षेत्र वेल्लरमाला विलेज रोड, पांचवां क्षेत्र जीवीएचएस वेल्लरमाला है और छठा क्षेत्र नदी का बहाव क्षेत्र है.
इस योजना के साथ चल रहा रेस्क्यू अभियान
तीनों सेनाओं के अलावा, NDRF, DSG और MEG की संयुक्त टीम खोजी अभियान में शामिल हैं. हर टीम में तीन स्थानीय लोग और वन विभाग का एक कर्मचारी शामिल है. इसके अलावा, चलियार नदी के आसपास स्थित आठ पुलिस स्टेशनों के पुलिसकर्मी और तैराकी में अनुभवी लोग भी खोज करेंगे. सर्च ऑपरेशन हेलिकॉप्टर से भी चलाया जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारी तटरक्षकों और नौसेना के साथ उन स्थानों पर खोज करेंगे जहां शव बह सकते हैं. हादसे के बाद सेना ने बेली ब्रिज बनाया है, जिससे 25 एंबुलेंस मुंडकई जाएंगी. वहीं शनिवार को मिट्टी में दबे शवों को खोजने के लिए दिल्ली से ड्रोन आधारित रडार आने वाला है. तलाशी अभियान में छह कुत्तों भी मदद ली जा रही है. इस कड़ी में तमिलनाडु से आज चार अतिरिक्त कुत्ते लाए जाएंगे.
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वायनाड में कब आई थी त्रासदी ?
आपको बता दें कि, बीते 30 जुलाई की सुबह तड़के करीब 2 बजे वायनाड में पहली लैंडस्लाइड हुई थी. इसके बाद सुबह चार बजे फिर से लैंडस्लाइड हुई और फिर तीसरी बार लैंडस्लाइड हुई. एक दिन में तीन बार हुई लैडस्लाइड में वायनाड के चार गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गए, जिनमें से लोगों को निकालने के लिए लगातार बचाव अभियान चलाया जा रहा है. मरने वालों की संख्या रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति के साथ लगातार बढ़ती जा रही है.