संसद में पारित नए विधेयकों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

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नई दिल्ली: देश के लोकतांत्रिक मंदिर में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पारित किये गए नए विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी हैं. बता दें कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीनों नए कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम अंग्रेजों के जमाने की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. गृह मंत्रालय इसको लेकर जल्द अधिसूचना जारी कर सकता है.

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संसद के मानसून सत्र में विधेयक हुए थे पेश

इन विधेयकों को पहली बार अगस्त में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था. गृह मामलों की स्थायी समिति द्वारा कई सिफारिशें करने के बाद सरकार ने विधेयकों को वापस लेने का फैसला किया और पिछले सप्ताह उनके नए संस्करण पेश किए.

विचार-विमर्श बाद तैयार हुआ था तीनों विधेयकों का मसौदा

अमित शाह ने संसद में बताया कि तीनों विधेयकों का मसौदा व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया था और उन्होंने मंजूरी के लिए सदन में लाने से पहले मसौदा कानून के हर अल्पविराम और पूर्ण विराम तक को देखा था. भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया गया है. आईपीसी में इसका कोई जिक्र नहीं था. नए कानूनों के तहत मजिस्ट्रेट की जुर्माना लगाने की शक्ति के साथ-साथ अपराधी घोषित करने का दायरा भी बढ़ा दिया गया है.

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IPC: कौन सा कृत्य अपराध हैं और इसके लिए क्या सजा होगी ?

यह सब IPC से तय होता हैं लेकिन अब नए विधेयकों के बाद इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.

CRPC: गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है.

इंडियन एविडेंस एक्ट-
इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थी. इंडियन एविडेंस एक्ट अब भारतीय साक्ष्य संहिता में जाना जाएगा. भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं

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