प्रयागराज: मौसंबी के जूस चढ़ाने का मामला स्पष्ट नहीं, सील हॉस्पिटल में नोटिस चस्पा
यूपी की संगम नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में एक डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस चढ़ाए जाने के कथित आरोपों में घिरे निजी हॉस्पिटल पर कानून का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. शुरुआती जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल को बीते 20 अक्टूबर को सील कर दिया था. अभी यह स्पष्ट होना बाकी है कि प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस चढ़ाया जाता था. वहीं, इस मामले पर अब प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने अब हॉस्पिटल की बिल्डिंग को अवैध बताते हुए नोटिस जारी कर दिया है जोकि हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर चस्पा किया है.
ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी…
हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर चस्पा किये गए नोटिस में बताया गया है कि 3 सितंबर, 2021 को आपको इस बात की कारण बताओ नोटिस दी गई थी कि जिस भवन में हॉस्पिटल चल रहा है, वह अवैध है, उसका नक्शा नहीं पास है. लिहाजा इसके जवाब के लिए 17 सितंबर, 2021 और 6 अक्टूबर, 2021 को रखी गई थी. लेकिन आप की तरफ से कोई जवाब नहीं आया और ना ही कोई मानचित्र प्रस्तुत किया गया. लिहाजा 11 जनवरी, 2022 को इसके ध्वस्तीकरण की नोटिस जारी हो गई थी. अब 28 अक्टूबर, 2022 तक इस बिल्डिंग से संचालित नर्सिंग होम को खाली कर दें, जिससे की आगे की कार्रवाई की जा सके.
अवैध बिल्डिंग में चलता था हॉस्पिटल…
उधर, प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अफसरों का कहना है कि जांच में यह साफ हुआ है कि ये निजी हॉस्पिटल जिस बिल्डिंग में चल रहा था, वह अवैध है. निर्माण से पहले प्रयागराज विकास प्राधिकरण से ना तो मंजूरी ली गई थी और ना ही उसका नक्शा पास कराया गया था. विकास प्राधिकरण के ओएसडी अभिनव रंजन के मुताबिक, निजी हॉस्पिटल को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था. हॉस्पिटल प्रयागराज के झलवा इलाके में एयरपोर्ट के नजदीक स्थित है. यह हॉस्पिटल किराए की बिल्डिंग में चलता था.
प्रयागराज पुलिस ने किया गिरोह का पर्दाफाश…
प्रयागराज पुलिस ने इस मामले से जुड़े हुए एक गिरोह का भी पर्दाफाश 21 अक्टूबर को किया था. गिरोह के 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. हालांकि, प्रयागराज के अफसरों ने गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस नहीं बल्कि प्लाज्मा चढ़ाया जाता था. अफसरों ने जानकारी दी थी कि गिरोह के लोग अस्पतालों के ब्लड बैंकों से किसी तरह प्लाज्मा हासिल कर लेते थे और इसे सीरींज के जरिए निकालकर अलग अलग पैकेट्स में भरने के बाद इसे प्लेटलेट्स बता कर महंगे दामों पर ज़रूरतमंद लोगों को बेच देते थे. सीरींज से निकाले जाने के दौरान कई बार प्लाज्मा संक्रमित हो जाता था और इसी वजह से मरीजों की तबीयत बिगड़ जाती थी.
पूरा मामला…
निजी हॉस्पिटल में जिस मरीज को नकली या मिलावटी प्लेटलेट्स चढ़ाई गई थी, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी. प्रशासन ने मरीज के परिजनों व गिरोह के पास से मिले कथित रूप से नकली या मिलावटी प्लेटलेट्स को लैब भेज दिया है. अब लैब की रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो सकेगा के डेंगू के मरीजों को गिरोह द्वारा दिया जाने वाला प्लेटलेट्स मौसंबी का जूस होता था, प्लाज्मा होता था या फिर इसमें कुछ और मिलाया जाता था.
हॉस्पिटल हुआ था सील…
स्वास्थ्य विभाग ने मरीज की मौत के अगले दिन ही शुरुआती जांच करने के बाद हॉस्पिटल को सील कर दिया था. उस वक्त आशंका यह जताई गई थी कि मरीज को मौसंबी का जूस मिला हुआ प्लेटलेट्स चढ़ाया गया था. शक यह जताया गया था कि प्लेटलेट्स और मौसंबी के जूस का रंग एक ही होता है. कथित प्लेटलेट्स के पैकेट से मौसंबी के जूस जैसी महक भी आ रही थी. हालांकि, अभी यह स्पष्ट होना बाकी है कि प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस चढ़ाया जाता था.
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