प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सोमवार को फैसला सुनाएगा SC, जानें कितनी हो सकती है सजा
सुप्रीम कोर्ट न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराए गए कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी। इससे पहले 25 अगस्त को न्यायाधीश अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने प्रशांत द्वारा अपने ट्वीट्स के लिए माफी मांगने से इनकार करने के बाद उनकी सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने का जिक्र करते हुए कहा, माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है? सुनवाई के दौरान पीठ ने भूषण को ट्वीट के संबंध में खेद व्यक्त नहीं करने के लिए अपने रुख पर विचार करने के लिए 30 मिनट का समय भी दिया था।
इतनी हो सकती है सजा-
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि उनका यह सुझाव है कि भूषण को दंडित किए बिना मामले को बंद कर दिया जाए। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। इस मामले में उन्हें छह महीने तक का साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक का जुमार्ना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कब तक इस प्रणाली को भुगतना होगा। पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की निंदा की जाती है और उनके परिवारों को अपमानित किया जाता है। उन्होंने कहा, वे तो बोल भी नहीं सकते।
शीर्ष अदालत ने भूषण के वकील से कहा कि उनसे उन्हें निष्पक्ष होने की उम्मीद है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, आपके पास किसी के लिए भी प्यार और स्नेह हो सकता है, लेकिन हम चाहते हैं कि आप निष्पक्ष रहें।
प्रशांत भूषण ने नहीं मांगी माफी-
भूषण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि वह भूषण से सहमत नहीं है। धवन ने जोर देकर कहा कि किसी को भी अवमानना?? कार्यवाही में माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और कहा कि भूषण द्वारा की गई हार्ले डेविडसन की टिप्पणी शायद ही आलोचना थी।
धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि लोगों को किस तरह के कोड का पालन करना चाहिए, लेकिन विचार भूषण को चुप कराने के लिए नहीं होना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने दलीलों के दौरान भूषण से पूछा कि वह ट्वीट के लिए माफी मांगने के लिए इतने परेशान क्यों हैं।
एजी ने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत को भूषण को माफ कर देना चाहिए और मामले पर दयालु दृष्टिकोण रखना चाहिए। पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए और कहा कि उसने भूषण को समय दिया, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया।
एजी ने कहा कि भूषण को सभी बयानों को वापस लेना चाहिए और खेद व्यक्त करना चाहिए।
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