जो ‘सरकारें’ न कर सकी लॉकडाउन ने कर दिखाया
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। लॉकडाउन के चलते लोगों को बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत ही खराब असर देखने को मिलेगा। इन सब के बीच इस लॉकडाउन का एक बहुत ही सकारात्मक असर भी देखने में आया है।
पूर्व की सरकार के ‘गंगा एक्शन प्लान’ से लेकर वर्तमान सरकार के ‘नमामी गंगा कार्यक्रम’ तक जो काम न हो सका उसे लॉकडाउन ने कर दिखाया है। जी हां यहां हम बात गंगा और यमुना के प्रदूषण स्तर में आयी कमी की कर रहे है। गंगा निर्मल होने की राह पर चल पड़ी हैं और यमुना का काले रंग का पानी नीला दिखायी देने लगा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने भी लॉकडाउन के कारण गंगा नदी के पानी में प्रदूषण कम होने की पुष्टि की है।
औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद होने से प्रदूषण में आई कमी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के चलते यातायात प्रतिबंधों और उद्योगों में कामकाज बंद होने से पाल्यूशन लेवल नीचे आया है। गंगा की बात करें तो इन दिनों इसमें औद्योगिक कचरा नहीं डंप हो रहा है। पाल्यूशल लेवल जांचने संबन्धी हुए सर्वे में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर गंगा के पानी में अपेक्षाकृत सुधार आया है।
पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है। आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो पीके मिश्रा ने गंगा की स्थिति में 40-50 प्रतिशत सुधार की बात कही है। उनका कहना है कि गंगा में गिरने वाला उद्योगों के कचरे की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक है। इसमें आयी कमी ने गंगा की स्थिति में खासा सुधार किया है।
यमुना का काला पानी हो गया नीला
तकरीबन ऐसे ही हालात यमुना के भी है। यमुना का काला गंदा पानी अब नीले रंग का दिखायी दे रहा है। जो इसके बदले हुए हालात की कहानी कह रहा है। यमुना नदी कुल 1370 किलोमीटर (यमुनोत्री से इलाहबाद) तक बहती है। इसमें से 54 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में पड़ता है। लेकिन यमुना के कुल प्रदूषण का तकरीबन 70 प्रतिशत इसी हिस्से से होता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली सहित पूरे देश में हुए लॉकडाउन का असर यमुना भी दिख रहा है। खास तो ये है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली जल बोर्ड यमुना नदी में अ आये बदलाव का करने की योजना तैयार कर रहा है। इस वक्त औद्योगिक वेस्ट लगभग नहीं है। फिर, बाजार बंद होने से सीवर का लोड भी कम हुआ है। जिसका असर यमुना में दिखायी दे रहा है।
16 नालों डालते हैं यमुना में गंदगी
दिल्ली के 33 औद्योगिक क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा फैक्टरियां हैं। हालांकि यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगे हुए हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा सीधे नालों में छोड़ दिया जाता है। इससे नदी प्रदूषित होती है। आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली से हर दिन तकरीबन 3267 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवर का पानी निकलता है लेकिन इसके शोधन की क्षमता महज 2400 एमएलडी ही उपलब्ध है। यमुना में 60-70 एमएलडी होता है औद्योगिक वेस्ट होता है। जो दिल्ली के 16 नालों से होता हुआ इसमें पहुंचता है। नजफगढ़ और शाहदरा नाला इनमें मुख्य प्रदूषण के कारक हैं।
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