समान नागरिक संहिता को लेकर पीएम मोदी का बड़ा बयान, एक देश में दो कानून नहीं हो सकते…

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पीएम मोदी ने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के तहत आज कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. पीएम मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा बयान दिया है. पीएम ने कहा, एक घर दो कानूनों से नहीं चल पाएगा, ठीक उसी तरह से एक देश में दो कानून नहीं हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा कि समान नागरिक संहिता बनाओ. पीएम मोदी ने पसमांदा मुसलमानों पर भी बड़ा बयान दिया।

तीन तलाक पर क्या बोले पीएम मोदी…

पीएम मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सवाल किया कि अगर तीन तलाक इस्लाम से अलग नहीं है तो मिस्र, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में इसका चलन क्यों नहीं है. मिस्र, जिसकी 90 फीसदी आबादी सुन्नी मुसलमानों की है, ने 80 से 90 साल पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया था।

तीन तलाक मुस्लिम बेटियों के साथ अन्याय…

पीएम मोदी ने कहा कि मुस्लिम बहुत देशों में भी तीन तलाक बंद हो चुका है. पीएम मोदी ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम बेटियों के साथ अन्याय है. पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग तीन तलाक की वकालत करते हैं वे वोटबैंक के भूखे लोग हैं. वे मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय कर रहे हैं… तीन तलाक पूरे परिवार को नष्ट कर देता है। मुस्लिम बहुल देशों ने भी तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने कहा कि हाल ही में, मैं मिस्र में था…उन्होंने लगभग 80-90 साल पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया था।

दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा…

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के मुसलमान भाई-बहनों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं. हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या. तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा।

पसमंदा मुसलमानों को नहीं मिला बराबरी का हक..

पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा, ‘कॉमन सिविल कोड’ लाओ, लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग. वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमंदा मुसलमानों का शोषण किया है, लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई. उन्हें आज भी बराबरी का हक नहीं मिलता।

UCC के नाम पर लोगों को भड़का रहा विपक्ष…

पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता पर दो टूक बयान देते हुए कहा. कि सियासी फायदे के लिए विपक्ष यूसीसी का इस्तेमाल कर रहा है. आज यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है. देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? संविधान भी समान अधिकारों की बात करता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है.भाजपा मुसलमानों के पास जाकर उनके भ्रम को दूर करेगी।

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने क्या कहा…

साथ ही केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश में आना चाहिए. समान नागरिक संहिता महिलाओं से जुड़ा हुआ सवाल है. इसलिए इसके लिए जो भी करना होगा भारत सरकार वह करेगी. केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से कहा कि संविधान यह निर्धारित करता है. और अदालतें एक तरह से कह रही हैं कि यह(समान नागरिक संहिता) लागू किया जाना चाहिए।

समान नागरिक सहिंता क्या है…

समान नागरिक सहिंता देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात करती है. यानी, विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम देश में इस समय अलग-अलग धर्मों को लेकर अलग-अलग कानून हैं, इसलिए देश में बीजेपी बीते काफी सालों से यूसीसी लाने का प्रयास कर रही है, ये उसके कई चुनावी वादों में से एक बड़ा चुनावी वादा भी है.

यूसीसी को लेकर लोगों से मांगे सुझाव…

चूूंकि अभी विधि आयोग ने देश के नागरिकों से यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे हैं, और इन सुझावों की अंतिम तिथि 15 जुलाई होगी, इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर कानून मंत्रालय और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों और सभी धर्मों के लोगों की एक कमेटी की भी राय ली जाएगी, और उनके सुझावों के आधार पर कानूनी जानकारी रखने वाली एक टीम इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करेगी. उस ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर देश में यह कानून किस तरह का होगा।

कानूनों और परंपराओं को किया जाएगा रिप्लेस…

दावा किया जा रहा है कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी, साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने का काम करेगी. ये कानून पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.

कौन लागू कर सकता है समान नागरिक संहिता…

भारतीय संविधान अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता लागू करना राज्य का कर्तव्य मानता है। लेकिन शादी, तलाक, विरासत और संपत्ति पर अधिकार आदि सामाजिक मुद्दे समवर्ती सूची में आते है इसलिए केंद्र और राज्य दोनो सरकारें इसपर कानून बना सकती है। विशेषज्ञों का मानना है की केंद्र सरकार कानून लाकर जल्द से जल्द इसको लागू कर दे।

लागू होने के बाद क्या बदलाव आएगा…

मिली जानकारी के अनुसार  मुस्लिम कुछ भी नही कर पाएंगे जैसे मुस्लिमों का 3- 4 शादियां करना बंद हो जाएगा. और तलाक लेने के लिए भी उनको कोर्ट के जरिए जाना होगा. वे अपने परिवार को जायदाद का बटवारा नही कर सकेंगे. शादी, तलाक, दहेज, उत्तराधिकार के मामलों में हिंदू, मुसलमान और ईसाइयों पर एक समान कानून ही लागू होगा. न्यायपालिका पर दबाव कम होगा और धर्म के कारण वर्षों से पड़े केस जल्दी से सुलझा लिए जायेंगे. और कोई भी आसानी से धर्म के आधार पर राजनीति नहीं कर पाएगा. देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा।

UCC पर मुस्लिम बोर्ड का क्या कहना है…

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है. और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है. मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक बयान में कहा था कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बनाए गये कानून मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान से ली गई है और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमानों को भी नहीं है. तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलंदाजी कर सकती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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