लाल किले की प्रचीर से एक बार फिर पीएम मोदी ने लहराया तिरंगा

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पीएम मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय पुलिस दिवस पर नैशनल पुलिस मेमोरियल का उद्घाटन किया। पुलिस, पैरा मिलिटरी के जवानों के शौर्य को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए।

उन्होंनेआपदा प्रबंधन के लिए नैशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ) में तैनात जवानों के शौर्य के याद करते हुए ऐलान किया कि अब से हर साल नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती (23 जनवरी) पर उनके नाम से जवानों को सम्मानित किया जाएगा। इस मौक पर मोदी ने कांग्रेस सरकार को भी घेरा और कहा कि उन्होंने जवानों के साहस के इस स्मारक पर धूल जमने दी।

आज का दिन सेवा और बलिदान को किया याद

आपको बता दें कि 21 अक्टूबर को हर साल नैशनल पुलिस डे का आयोजन किया जाता है। लद्दाख में 1959 में चीन के सैनिकों के हमले में शहीद हुए पुलिस के 10 जवानों की शहादत की याद में इसका आयोजन किया जाता है। पीएम मोदी ने इसी अवसर पर नैशनल पुलिस मेमोरियल का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, ‘आज का दिन सेवा और सर्वोच्च बलिदान को याद करने का है।

पुलिस स्मृति दिवस उन साहसी पुलिस वीरों की गाथा का भी स्मरण है जिन्होंने लद्दाख की बर्फीली चोटियों में प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में काम किया, अपना जीवन समर्पित किया। आजादी से लेकर अबतक कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपना जीवन न्योछावर करने वालों को मेरा नमन।’

भावुक होकर बोले पीएम मोदी…

पीएम मोदी ने सारे राज्यों में तैनात पुलिस के जवानों, पैरा मिलटरी के जवानों, कश्मीर जैसी जगहों पर आतंकवाद से लड़ रहे जवानों और आपदा की घड़ी में एनडीआरएफ के माध्यम से शौर्य दिखाने में जुटे जवानों को याद किया। इस दौरान एक समय बोलते-बोलते पीएम मोदी भावुक हो गए। उनका गला भर आया। मोदी ने कहा कि लोगों को इनके साहस का पता नहीं चल पाता। यह स्मारक सेवा और शौर्य का प्रतीक तो है ही, साथ में सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है जिसका आधार राष्ट्र निर्माण और इससे जुड़े लोगों का सम्मान करना है।

‘नैशनल पुलिस मेमोरियल बनाने में 70 साल क्यों लगे’

पीएम ने अपने संबोधन में यूपीए समेत पिछली सरकारों पर निशाना भी साधा। मोदी ने कहा, ‘इस मेमोरियल को अस्तित्व में आने में 70 साल क्यों लग गए। पुलिस स्मृति दिवस मनाते हुए भी 60 साल हो गए, फिर इतने दिन इंतजार क्यों। ऐसे मेमोरियल का विचार 25-26 साल पहले कौंधा था। तबकी सरकार ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। अटल सरकार ने इसपर काम किया।

2002 में तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी ने इस मेमोरियल का शिलान्यास किया। आज आडवाणी जी यहां मौजूद हैं, अपने काम को पूरा होते हुए देख रहे हैं। पहले की सरकारों ने दिल से प्रयास किया होता तो मेमोरियल कई साल पहले बन जाता। लेकिन आडवाणी जी ने जो शिलान्यास किया था, उस पत्थर पर यूपीए सरकार ने धूल जमने दी। शायद अच्छे काम के लिए ईश्वर ने मुझे ही चुना है।’

पीएम ने कार्यक्रम में मौजूद शहीद के परिवारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं आपके सामने नतमस्तक हूं, आपने देश के लिए बड़ा त्याग किया है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल को देश को समर्पित करने का मौका मिला है। वॉल ऑफ वेलोर पर 34000 से अधिक पुलिस कर्मियों के नाम हैं जिन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’

आपदा प्रबंधन में जुटे जवानों के सम्मान का ऐलान

पीएम मोदी ने किसी भी आपदा के समय एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के माध्यम से लोगों को बचाने में जुटे जवानों के सम्मान का भी ऐलान किया। पीएम ने कहा, देश में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सबसे पहले हमारी पुलिस और पैरा मिलिटरी के जवान ही पहुंचते हैं। इनके बिना एनडीआरएफ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। संकट के समय ये अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं।

उन विकट परिस्थितियों में अक्सर उनके इस साहस पर ध्यान ही नहीं जाता। स्थितियां सामान्य होने के बाद अपने थानों, जगहों पर लौट जाते हैं। ऐसे पराक्रमी सेवाव्रतियों के लिए सम्मान का ऐलान करता हूं। प्रतिवर्ष नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर हर साल 23 जनवरी को इसे घोषित किया जाएगा।’साभार

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