यूपी: इकोत्तरनाथ शिव मंदिर में नहीं चढ़ता प्रसाद, लगे हैं सैकड़ों नल, रंग बदलता है शिवलिंग

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यूपी में एक ऐसा चमत्कारी शिव मंदिर है, जहां पर भगवान भोलेनाथ की विशेष महिमा है. इस मंदिर में चढ़ावे में प्रसाद नहीं चढ़ता है. मंदिर के चारों तरफ सैकड़ों नल लगे हुए हैं और शिवलिंग का रंग हर दिन बदलता है. सावन के महीने में यहां पर शिवभक्तों का तांता लगा रहता है. हम बात कर रहे हैं पीलीभीत के इकोत्तरनाथ शिव मंदिर की. जानिए शिव मंदिर की पूरी कहानी…

पीलीभीत के पूरनपुर तहसील में स्थापित भगवान शिव के इकोत्तरनाथ मंदिर जाने के लिए पुवायां रोड से होते हुए हरीपुर रेंज के जंगल में गोमती नदी के तट पर पहुंचना रहता है. इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आस्था है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि रोजाना इस पौराणिक शिवलिंग का सबसे पहले जलाभिषेक देवराज इंद्र स्वयं आ कर करते हैं. कपाट बंद होने के बाद यहां कोई नहीं रुकता. जब सुबह कपाट खोला जाता है, तो शिवलिंग पर पुष्प, जल इत्यादि चढ़े मिलते हैं. इसी कारण से इस मंदिर की मान्यता और अधिक हो गई है.

मंदिरों में मनोकामना पूरी होने पर भक्त लोग प्रसाद, फूल-फल आदि चढ़ाते है, लेकिन इकोत्तरनाथ शिव मंदिर की मान्यता है कि श्रद्धालुओं को मनोकामना पूरी होने पर यहां आकर एक नल लगाना होता है. इसी के चलते आज मंदिर परिसर के आसपास सैकड़ों की संख्या में नल लगे हैं. मंदिर परिसर में प्रसाद की दुकान चलाने वाले युवक ने बताया कि इस मंदिर का शिवलिंग चमत्कारी है. यहां शिवलिंग का रंग दिन में कई बार बदलता है. इस स्थान पर शिव की विशेष महिमा है.

कहा जाता है कि पौराणिक काल में यह महर्षि गौतम की तपोभूमि हुआ करती थी. महर्षि गौतम गोमती नदी के किनारे ही तप किया करते थे. उसी दौरान एक बार इंद्र ने गौतम ऋषि की पत्नी सती अहिल्या का भेष धारण कर उनके साथ छल किया था. इसी से क्रोधित हो कर गौतम ऋषि ने इंद्र को श्राप देकर गोमती के तट पर 101 शिवलिंग स्थापित करने का आदेश दिया. उन्हीं 101 शिवलिंगों में से 71वां शिवलिंग इकोत्तरनाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

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