इस मुस्लिम गौ सेवक से सीख लेनी चाहिये लोगों को
वैसे तो कहने को गौ रक्षकों और सेवकों की कमी नहीं है देश में, लेकिन जब यही गाय बीमार या फिर घायल हो जाती है तो लोग उसे दुत्कार कर भगा देते हैं। ऐसे में हमीरपुर जिले में लंबी सफेद दाढ़ी और टोपी वाला मुस्लिम गौ सेवक सामने आया है जो बीमार और घायल गायों का इलाज करता है। एक मुस्लिम को ऐसा करते देख लोग दांतों तले उंगली दबा ले रहे हैं।
टोपी वाला सुलेमान है असली गौ सेवक
हमीरपुर जिले में दाढ़ी टोपी वाला यह शख्स सुलेमान है जो गौ सेवक के नाम से आजकल खूब चर्चाएं बटोर रहा है। सबसे अहम बात ये है कि सुलेमान ने घायल गायों की देखरेख और उनके ठीक होने तक उनकी निगरानी का जिम्मा उठा रखा है।
सुलेमान अपने खर्चे से इन घायल जानवरों का न सिर्फ इलाज कर रहा है बल्कि उनके खाने पीने के लिए चारा-पानी का इंतजाम भी करता है। मुस्लिम गौ सेवक बन कर उभरे सुलेमान का कहना है कि बेजुबान जानवरों का दर्द उससे देखा नहीं जाता है इसीलिए एक साल से वह इन घायल गायों का इलाज कर रहा है।
सैकड़ों गायों का इलाज कर ठीक कर चुका है सुलेमान
https://youtu.be/ET-wlE57Dmw
अब तक सुलेमान ने सैकड़ों गायों का इलाज कर उन्हें ठीक किया है। हमीरपुर ज़िले के सुमेरपुर क़स्बे में रहने वाले बुजुर्ग सुलेमान का कहना है कि उनसे बीमार और घायल गायों का दर्द नही देखा गया तो खुद इन घायल बेजुबानों का इलाज करने का बीड़ा उठाया और पिछले एक साल से इसी काम में लगा हुआ है। अब तक वो सैकड़ों घायल गायों का इलाज कर चुका है।
https://youtu.be/u6JGbB-T28I
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https://youtu.be/D00R9DcxQa8
रिपोर्ट के मुताबिक, हमीरपुर ज़िले में लाखों अन्ना गायें घूम रही हैं जो हाइवे में दुर्घटना का शिकार हो कर घायल हो जाती हैं और इस समय किसानों ने खेतों में कटीले तार और आरी वाली बाढ़ लगा रखी है जिससे इन गायों की गर्दन और पैर कट जाते हैं। ऐसे में यह बेजुबान जानवर खून बहाते घूमते रहते हैं।
जिले में नहीं है एक भी गौशाला
ज़िले में हज़ारों की तादाद में घायल गायें घूम रही है पर उनका कोई पुरसा हाल नही है इस ज़िले में। न कोई गौ रक्षक, न कोई गौ सेवक और न ही कोई गौशाला है जो इन घायल गायों की सेवा के लिए आगे आया। तब मज़बूरी में सुलेमान को आगे आना पड़ा। हालांकि शुरू में उसको अपने घर में इसका विरोध भी झेलना पड़ा था पर अब उसके परिजन भी उसका साथ दे रहे हैं।
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पूरे देश मे गायों को लेकर सियासत होती रहती है, मगर बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा और बीमार, घायल, भूखी प्यासी गायें तड़प रही हैं, जिनका कोई पुरसाहाल नहीं हैं। ऐसे में बिना किसी सरकारी मदद के अपने खुद के खर्चे से बुजुर्ग सुलेमान जैसे गौ सेवक सालों से घायल गायों का इलाज कर एक नजीर पेश कर रहे हैं।
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