लॉकडाउन ने वायरस के पीक को कुछ समय के लिए सिर्फ टाल रखा है

जुलाई-अगस्त में आ सकता है कोरोना संक्रमण का उच्चतम स्तर

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नयी दिल्ली। कोरोना वायरस का पीक Peak अभी आना बाकी है। इस Peak के चलते आगामी एक डेढ़ साल तक लगातार कोरोना वायरस के जोखिम में रहेगी राजधानी। इसकी वजह है कि यहां लोगों का लगातार आना जाना होता रहता है। New Delhi के लोगों को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसका Peak जुलाई—अगस्त तक आ सकता है।

Peak आना अभी बाकी

इंस्टीटयूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के निदेशक डॉक्टर एसके सरीन का कहना है कि देश में कोरोना वायरस महामारी का Peak (उच्चतम स्तर) जुलाई से मध्य अगस्त तक आ सकता है।

उन्होंने एंटीबॉडी टेस्टिंग, कोरोना वायरस महामारी, सामुदायिक सर्विलांस जैसे कई मुद्दों पर बातचीत की। सरीन New Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस पांच सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं जो महामारी से निपटने में मदद कर रही है।

लॉकडाउन के नियमों में ढील से संक्रमण बढ़ा

जब उनसे पूछा गया कि क्या New Delhi में कोरोना का सामुदायिक प्रसार हुआ है तो उन्होंने कहा कि सामुदायिक प्रसार तब होता है जब संक्रमण बिना यात्रा इतिहास या ज्ञात संपर्क के फैले। यह प्रवासी मजदूरों के बड़ी संख्या में गतिविधि करने और लॉकडाउन के नियमों में ढील देने की वजह से हो रहा है।

लोग सामुदायिक प्रसार शब्द से डरते हैं। लेकिन यह लगभग सभी देशों में हुआ है और वर्तमान में हमारे यहां होने की संभावना है।

कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे

एक अखबार को दिए इंटरव्यू में डॉ. सरीन ने कहा कि लॉकडाउन ने वायरस के Peak (शिखर) को कुछ समय के लिए टाल दिया है। जुलाई या अगस्त के मध्य में देश में इसका Peak आने की संभावना है। वर्तमान में देश के अंदर कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह तब तक रहेगा जब तक कि प्रजनन संख्या एक से अधिक हो (मतलब प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति वायरस को एक से अधिक लोगों में फैलाए)।

New Delhi तीसरे परिदृश्य के लिए तैयार

जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली के लिए सबसे खराब स्थिति क्या है और क्या शहर इसके लिए तैयार है तो आईएलबीएस के निदेशक ने कहा, ‘हम पहले से ही दूसरे परिदृश्य में हैं। समिति ने एक दिन में 500 मामलों को लेकर बात की थी। New Delhi तीसरे परिदृश्य के लिए भी तैयार है जिसमें एक दिन में एक हजार मामले सामने आ सकते हैं।

हम अब रोजाना पांच हजार परीक्षण कर रहे हैं। यह संख्या जरूरत पड़ने पर 10 हजार तक जा सकती है। दिल्ली अच्छा कर रही है लेकिन दूसरे राज्यों के लोगों की आवाजाही के कारण यह बहुत असुरक्षित शहर बन गया है। यह आने वाले साल- डेढ़ साल तक असुरक्षित शहर बना रहेगा। दिल्ली के लोगों को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।’

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